बिहार में स्कूलों की छुट्टियों को लेकर पिछले कुछ दिनों से खूब बवाल मचा हुआ है. पहले शिक्षा विभाग की तरफ से स्कूल की छुट्टियों में कटौती करने को लेकर एक पत्र जारी किया गया था, उसके कुछ दिन बाद छुट्टियों की कटौती को खत्म करने के संबंध में एक दूसरा पत्र जारी किया गया था. अब शिक्षा विभाग की तरफ से एक और पत्र जारी कर दिया गया है. जिसमें यह साफ-साफ कहा गया है की शैक्षणिक कैलेंडर वर्ष में कम से कम 200 या 220 दिन स्कूलों मे क्लास होना जरूरी है. छुट्टियों की वजह से या फिर किसी कारणवश अगर 220 दिन से कम क्लास चलते हैं तो ऐसी स्थिति में घोषित और आकस्मिक अवकाश को भी रद्द किया जा सकता है.
शिक्षा विभाग ने जारी किए गए पत्र मे लिखा है कि शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के तहत राज्य सरकार प्रतिबद्ध है, कि प्राथमिक विद्यालयों में कम से कम 200 दिन और माध्यमिक विद्यालयों में 220 दिन पढाई हो. ऐसे में राज्य सरकार प्रतिबद्ध है,कि राज्य की इन स्कूलों में कम से कम 220 दिन पढ़ाई हो. शिक्षा विभाग ने इस पत्र में लिखा है कि अपर मुख्य सचिव के द्वारा 1 जुलाई से विद्यालयों में लगातार निरीक्षण किया जा रहा है जो पहले नहीं होता था.
मुख्य सचिव के अलावा शिक्षा विभाग के अधिकारी भी स्कूलों का जाएजा ले रहे है. आज की तारीख में 40 हजार विद्यालयों का प्रतिदिन निरीक्षण किया जा रहा है. अब वास्तविक रूप से हम कहने की स्थिति में है कि कौन से विद्यालय कितने दिन खुले हैं और कितने दिन बंद रहे है. इससे पहले निरीक्षण के लिए इतनी व्यापक व्यवस्था नहीं थी, जिसकी वजह से घोषित और आकस्मिक अवकाश के आधार पर विद्यालय की पढ़ाई की गणना करते थे.
निरीक्षण के दौरान स्कूलों के बंद होने के कई कारण भी मालूम पड़े हैं. यह भी पता चल रहा है कि बिना किसी वजह के स्थानीय कारण की वजह से भी स्कूलों को बंद कर दिया जाता है. शिक्षा विभाग की समस्या अघोषित अवकाश नहीं बल्कि घोषित अवकाश है. जिसकी जानकारी मुख्यालय तो दूर जिला शिक्षा पदाधिकारी को भी नहीं मिल पाती है. निरीक्षण के दौरान कई चौंकाने वाली बातें सामने आई है, जहां बिना घोषित और आकस्मिक अवकाश के भी विद्यालय बंद कर दिए जाते हैं.
शिक्षा विभाग ने जो पत्र जारी किया है उसमें अघोषित अवकाश के कई कारण भी दर्शाये गए है. जिसमें बाढ़ के चलते स्कूलों में पानी लग जाना, शीतलहर के कारण स्कूल बंद किया जाना, लू चलने के कारण स्कूल बंद किया जाना समेत 6 कारण बताए गए है. शिक्षा विभाग ने अपने पत्र में लिखा है कि 1 अप्रैल 2023 से 31 जनवरी 2024 तक घोषित और आकस्मिक अवकाश को देखते हुए कितने दिन और विद्यालय चलने की संभावना है.
कहने को तो अकादमिक कैलेंडर मार्च तक होता है. लेकिन फरवरी और मार्च महीने में मैट्रिक और इंटर की परीक्षा होती है और इस दौरान इन्हीं स्कूलों में परीक्षा की व्यवस्था की जाती है. जिसकी वजह से प्राथमिक और माध्यमिक क्लास नहीं चल पाते हैं. अब ऐसी स्थिति में जब 220 दिन तक क्लास नहीं चल पाएंगे तो घोषित और आकस्मिक अवकाश को रद्द किया जा सकता है.
www.aajtak.in
Source link