डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन का अब तक का राजनीतिक कॅरियर छोटा सा ही है, लेकिन भटकाव और विवादों की फेहरिस्त अपेक्षाकृत लंबी रही है. डीएमके के भीतर दयानिधि स्टानिलके समर्थक करिश्माई नेता मानते हैं, तो असंतुष्ट नेता वैसे ही राय रखते और समझते हैं, जैसी राहुल गांधी, तेजस्वी यादव या अखिलेश यादव के बारे में आम धारणा बनी हुई है. मतलब, विरासत की राजनीति ने नेता बना दिया है, वरना बाकियों के तो सफर में बरसों बीत जाते हैं.
डीएमके के यूथ विंग से अपनी राजनीति शुरू करने वाले उदयनिधि स्टालिन ने 2019 के आम चुनाव में काफी मेहनत की थी. और तमिलनाडु की 39 में से 38 सीटों पर डीएमके की जीत का क्रेडिट काफी हद तक उदयनिधि को ही दिया जाता है.
सनातन धर्म को लेकर उदयनिधि स्टालिन ने जो बयान दिया है. और ये भी दोहराया है कि वो अपने बयान पर कायम हैं, कुछ सवाल भी खड़े करता है. अव्वल तो तमिलनाडु की द्रविड़ राजनीति अनीश्वरवाद या तर्कवादी अवधारणा पर चली आ रही है. और ये सब आजादी के बाद से ही चला आ रहा है जब डीएमके की स्थापना हुई थी. पेरियार और डीएमके संस्थापक सीएन अन्नादुरै की राजनीतिक विरासत को ही उदयनिधि के दादा एम. करुणानिधि ने आगे बढ़ाया – और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बाद ये दारोमदार उदयनिधि स्टालिन पर ही आने वाला है.
सवाल है कि सनातन धर्म के मुद्दे पर कोई चूक हुई है, या डीएमके की आगे की रणनीति यही है?
कहीं ये रणनीति बीजेपी के पांव जमाने की कोशिशों को काटने के लिए तो नहीं बनायी गयी है – अगर वास्तव में ऐसा है तो उदयनिधि ने सनातन धर्म पर कहीं हड़बड़ी में तो नहीं टिप्पणी कर दी है.
क्या ये धर्म और आस्था में टकराव का नतीजा है
उदयनिधि स्टालिन पहले ही बता चुके हैं कि वो क्रिश्चियन हैं, और हाल फिलहाल दोहरा भी चुके हैं. ये भी बताते रहे हैं कि उनको क्रिश्चियन होने पर गर्व है – लेकिन तभी ये भी याद आता है कि कैसे गणेश प्रतिमा वाले उनके ट्वीट (अब X पोस्ट) पर बवाल मचा था, और उदयनिधि स्टालिन को सफाई भी देनी पड़ी थी.
ये वाकया अगस्त, 2020 का है. लोक सभा के चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद डीएमके नेता 2021 के विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुटे थे. तब उदयनिधि स्टालिन डीएमके के यूथ विंग के सचिव हुआ करते थे – और विनायक चतुर्थी के मौके पर मिट्टी से बने गणेश की मूर्ति की सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी.
एक ऐसी पार्टी का नेता, जिसकी आइडियोलॉजी में मूर्ति तो दूर पूजा पाठ की प्रचलित धारणाओं से परहेज रखा जाता हो, किसी देवता की तस्वीर पोस्ट कर रहा हो, लोगों की हैरानी तो स्वाभाविक ही थी. चौतरफा सवाल खड़े किये जाने लगे. आखिरकार उदयनिधि स्टालिन को बयान जारी करना पड़ा.
उदयनिधि स्टालिन को ये भी याद दिलाया गया कि कैसे एक्टर शिवाजी गणेषन को तिरुमाला मंदिर जाने को लेकर डीएमके से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था. ऐन उसी वक्त ऐसे लोग भी थे जो उदयनिधि स्टालिन को हिंदू वोटों के लिए अवसरवादी नेता बताने लगे थे.
तब उदयनिधि स्टालिन ने आगे आकर कहा था, “मैं विवाद को समझता हूं. और उसका असली मकसद भी समझ रहा हूं. मेरी मां ने इस मूर्ति की पूजा की थी. विसर्जन से पहले मूर्ति को मेरी बेटी ने थाम रखा था, क्योंकि वो ऐसा चाह रही थी. उसी की तस्वीर है. बस इतनी सी बात है.”
द्रविड़ राजनीति करने वाले करुणानिधि ने भी कभी ऐसा कुछ नहीं कहा
उदयनिधि स्टालिन चेन्नई की चेपॉक-थिरुवल्लिकेनी विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं. 1996 से 2011 तक इस सीट पर उनके दादा एम करुणानिधि के पास हुआ करती थी. मई, 2021 में विधायक बनने के करीब डेढ़ साल बाद ही दिसंबर, 2022 में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने उदयनिधि स्टालिन को कैबिनेट में भी शामिल कर लिया.
मंत्री बनाये जाने पर जबरदस्त प्रतिक्रिया भी देखने को मिली थी. सत्ता के गलियारों में तब की चर्चाओं को याद करें तो एमके स्टालिन के इस कदम का मकसद बेटे को मंत्री बनाना भर ही नहीं था. पार्टी में उदयनिधि का प्रभाव तो पहले से ही महसूस किया जा रहा था. असल में उदयनिधि को संगठन से लेकर सरकार तक खास रोल दिये जाने का एक बड़ा मकसद बहुत सारी चीजों को दुरूस्त करना भी था. डीएमके के कई सीनियर नेताओं और उनमें से मंत्री बन चुके कुछ नेताओं के कंट्रोल करना एमके स्टालिन के लिए मुश्किल हो रहा था – डीएमके अध्यक्ष को लगा स्टालिन जूनियर संभाल लेंगे.
विरासत की राजनीति को आगे बढ़ा रहे स्टालिन अपनी अलग इमेज गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं. अपने पिता और दादा की तरह पारंपरिक परिधान शर्ट और वेष्टि की जगह वो अक्सर जींस और सफेद शर्ट पहने नजर आते हैं.
पेरियार और अन्नादुरै के बाद करुणानिधि तमिलनाडु में द्रविड़ आंदोलन के सबसे बड़े नेता रहे हैं. AIADMK के उभार के बाद जे. जयललिता के प्रभाव के कारण डीएमके को थोड़ा राजनीतिक संघर्ष जरूर करना पड़ा, लेकिन अब तो हाल ये है कि AIADMK काफी कमजोर हो चुकी है और बीजेपी घात लगा कर बैठी हुई है.
द्रविड़ आंदोलन शुरू से ही धार्मिक आस्था के साथ साथ ब्राह्मणवादी सोच और हिंदू धर्म की कुरीतियों पर सवाल उठाते हुए आगे बढ़ा. करुणानिधि ने भी सामाजिक न्याय के नाम पर उसी पॉलिटिकल लाइन को आगे बढ़ाते रहे, लेकिन कभी ऐसी बातें सुनने को नहीं मिलीं जो अभी उदयनिधि स्टालिन कह रहे हैं. और उस बात पर कायम भी हैं. और गणेश की तस्वीर पर मचे बवाल की तरह कोई सफाई भी नहीं पेश कर रहे हैं – आखिर उदयनिधि स्टालिन की आस्था और राजनीति यूं ही डगमगाते क्यों रहते हैं?
उदयनिधि स्टालिन भी अपने दादा की तरफ फिल्मों से ही राजनीति में आये हैं. उदयनिधि की लेटेस्ट फिल्म मामनन है जो जून, 2023 में रिलीज हुई है.
उदयनिधि स्टालिन के रेड जाइंट मूवीज बैनर तले बनी फिल्म मामनन में वो खुद भी खास भूमिका में है. इस फिल्म में तमिलनाडु के कुछ इलाकों में जातिवाद के प्रभावों पर सवाल उठाया गया है – उदयनिधि स्टालिन के सनातन पर ताजा बयान का कहीं कोई और भी कनेक्शन है क्या?
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