सिंगर कुमार सानू को एक वक्त सबसे बिजी सिंगर्स के टैग ने नवाजा जाता था. 90 के दशक में कहा जाता है कि सानू अपनी करियर के पीक पर थे. हर प्रोड्यूसर डायरेक्टर के फेवरेट बन चुके सानू की डिमांड हमेशा बनी रहती थी. अपने उन दिनों का किस्सा याद करते हुए कुमार सानू हमसे कई दिलचस्प बातें शेयर करते हैं.
क्या था वो एक दिन में 28 गाने का किस्सा
जब हमने कुमार सानू से पूछा कि आखिर कैसे उन्होंने एक दिन में 28 गाने गाकर रिकॉर्ड बना लिया था. इसके जवाब में सानू कहते हैं, हां, वो पागलपन था. लेकिन मुझे याद है कि 1993 में मैं किसी म्यूजिक कॉन्सर्ट के सिलसिले में अमेरिका जा रहा था. मेरा वो कॉन्सर्ट टूर लगभग 40 दिनों का था. ऐसे में कई प्रोड्यूसर्स और म्यूजिक कंपोजर्स के कॉल आने लगे कि आप पहले हमारा गाना गाकर ही टूर के लिए निकलना. उनका ये तर्क था कि कहीं मेरी गैरमौजूदगी की वजह से उनकी शूटिंग लटक न जाए. बस फिर क्या था. मैंने जाने से पहले मैनेजर से कहा कि सबको एक के बाद एक बुलाओ. जिन्हें रेकॉर्डिंग करवानी हो, मेरे स्टूडियो में आ जाए, और रिकॉर्ड करवाकर चला जाए. सब लाइन से सुबह से आते गए और पता ही नहीं चल पाया कि मैंने 28 गाने रिकॉर्ड कर लिए हैं.
अगर व्यूज खरीद लूंगा, तो रात को चैन से नहीं सो पाऊंगा
उस दौर में गाने की पॉप्युलैरिटी का अंदाजा कैसे लगाया जाता था. इसपर सानू कहते हैं, आजकल तो जो देख रहा हूं, उसे देखकर कोफ्त होती है. अब तो गाना पॉप्युलर करवाने के लिए उसके व्यूज तक खरीदे जाते हैं. ऑर्गैनिक व्यूज का पता लगा पाना मुश्किल है. देखता हूं कि वीडियोज में इतने लाइक्स और मिलियन व्यूज हैं, लेकिन गाना कब आया और गया किसी को अंदाजा नहीं है. अगर चालाकी कर गाने के व्यूज को बढ़ाया जाए भी तो उसकी क्या वैल्यू रह जाती है. अगर मेरे गाने के साथ ऐसा किया जाए, तो सच कहूं मुझे तो रातभर नींद नहीं आएगी कि मैं अपना बेचकर सो रहा हूं. मैं तो गाना अपनी संतुष्टि के लिए ही गाता हूं. चीजों में मिलावटीपन पसंद नहीं है.
तब कोई बनावटीपन नहीं था
अपनी बात आगे बढ़ाते हुए सानू कहते हैं, रही बात मुझे कैसे अंदाजा लगता था कि गाना हिट हो गया है. तो मैं जहां जाता लोग उसी गाने की फरमाइश करते, रेडियो पर लगातार बजता रहता, उस गाने के लिए इंटरव्यूज लिए जाते थे, ढेरों केसेट्स बिकते थे. ये भले अब ओल्डस्कूल लगे, लेकिन इससे ओरिजनैलिटी का पता चलता था. अब पीछे मुड़कर देखता हूं, तो लगता है कि पहले का ये अंदाज ठीक था. उस वक्त कोई बनावटीपन नहीं होता था.
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