विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस यानी I.N.D.I.A. की मुंबई में तीसरी बैठक होनी है. 31 अगस्त और 1 सितंबर को होने जा रही इस बैठक से पहले आम आदमी पार्टी ने बिहार में भी विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. आम आदमी पार्टी के ऐलान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा है कि गठबंधन की जब नींव रखी गई थी तब ये बात हुई थी कि हर दल को कुछ नियमों का पालन करना होगा. उम्मीद है आम आदमी पार्टी उन नियमों का पालन करेगी.
आम आदमी पार्टी के ऐलान पर आरजेडी ने नियमों की याद दिलाई है लेकिन बात बस बिहार तक सीमित नहीं है. आम आदमी पार्टी पहले ही मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है. आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेता अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का दौरा भी किया था. सवाल उठ रहे हैं कि क्या विपक्षी गठबंधन के लिए आम आदमी पार्टी का नेशनल ड्रीम मुसीबत बन जाएगा?
बिहार चुनाव में उतरने के ऐलान के क्या मायने
राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी कहते हैं कि आम आदमी पार्टी की नजर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर है. आम आदमी पार्टी ये समझ रही है कि दिल्ली और पंजाब की कुल 20 लोकसभा सीटों के सहारे अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री की कुर्सी तक नहीं पहुंच सकते. आम आदमी पार्टी अभी उस स्थिति में नहीं है कि अकेले दम या गैर कांग्रेस, गैर बीजेपी गठबंधन खड़ा कर सरकार बना सके. बिहार चुनाव में उम्मीदवार उतारने का ऐलान प्रेशर पॉलिटिक्स से अधिक कुछ भी नहीं.
आम आदमी पार्टी के इस दांव के पीछे एक और फैक्टर की चर्चा है. कहा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी को ये उम्मीद है कि वह दिल्ली और पंजाब के अलावा करीब आधा दर्जन राज्यों में भी कुछ सीटें जीत सकती है. दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है जबकि गुजरात चुनाव में भी पार्टी ने अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराई थी. पार्टी को गोवा, महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे राज्यों की कुछ सीटों पर भी जीत की उम्मीद है. आम आदमी पार्टी इन राज्यों में भी अपने लिए कुछ सीटें चाहती है.
पटना में विपक्ष की पहली बैठक के बाद आम आदमी पार्टी के नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस में नजर नहीं आए थे. बेंगलुरु में दूसरी बैठक से पहले आम आदमी पार्टी ने दो टूक कह दिया था कि कांग्रेस ने दिल्ली सेवा बिल को लेकर रुख साफ नहीं किया तो हम इसमें शामिल नहीं होंगे. कांग्रेस को बेंगलुरु बैठक से पहले संसद में दिल्ली सेवा बिल पर आम आदमी पार्टी का साथ देने का ऐलान करना पड़ा था. अब तीसरी बैठक से पहले आम आदमी पार्टी का बिहार में चुनाव लड़ने का दांव जेडीयू और आरजेडी जैसी पार्टियों के सहारे कांग्रेस पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.
मुंबई की बैठक में सीट शेयरिंग पर होनी है चर्चा
विपक्षी गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर अलग-अलग फॉर्मूले सामने आते रहे हैं. ममता बनर्जी जो जहां मजबूत वो वहां लड़े की बात कर रही हैं तो वहीं नीतीश कुमार एक सीट पर एक उम्मीदवार की. अब नीतीश कुमार ने कहा है कि मुंबई बैठक में सीट शेयरिंग पर चर्चा की जाएगी. हम इस बैठक में कई एजेंडे को अंतिम रूप देने के साथ ही लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी गठबंधन की रणनीति पर चर्चा करेंगे.
जगजाहिर है AAP का नेशनल ड्रीम
आम आदमी पार्टी का नेशनल ड्रीम जगजाहिर है. पार्टी की स्थापना के बाद हुए पहले ही लोकसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया था. नरेंद्र मोदी के खिलाफ केजरीवाल ने यूपी की वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा भी. केजरीवाल के इस कदम को प्रधानमंत्री पद की महत्वाकांक्षा का पहला सार्वजनिक प्रदर्शन भी माना जाता है. पंजाब विधानसभा चुनाव के समय कभी केजरीवाल के साथी रहे कुमार विश्वास ने भी कहा था कि वो जितनी जल्दी और जैसे भी हो, प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं.
कैसे सुलझेगा गठबंधन का पेच
कांग्रेस की दिल्ली और पंजाब यूनिट के नेता शुरू से ही विपक्षी गठबंधन में आम आदमी पार्टी के शामिल होने का विरोध करते रहे हैं. कांग्रेस प्रवक्ता अलका लांबा ने भी कुछ दिन पहले दिल्ली की सभी सात सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था. पश्चिम बंगाल को लेकर लेफ्ट पार्टियां पहले ही कह चुकी हैं कि तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं हो सकता है. बिहार में महागठबंधन के बैनर तले पहले से ही आधा दर्जन पार्टियां हैं. ऐसे में गठबंधन का पेच कैसे सुलझेगा? ये देखने वाली बात होगी.
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