भारत इस वर्ष G-20 की मेजबानी कर रहा है. ऐसे में दुनियाभर के तमाम देश इस G-20 समिट के लिए 9-10 सितंबर को दिल्ली में इकट्ठे होंगे. अमेरिका से जो बाइडेन आएंगे तो UK से ऋषि सुनक और फ्रांस से इमैनुएल मैक्रॉन भी इस समिट में शामिल होने के लिए भारत आ रहे हैं. लेकिन इस दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे. उनकी जगह चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग जी-20 में शामिल होंगे.
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के अलावा विदेश मंत्रालय ने भी इसकी जानकारी दी है. चीनी प्रधानमंत्री 9 सितंबर और 10 सितंबर को दिल्ली में होंगे और वो जी 20 समिट में शामिल होंगे. ऐसे में सवाल है कि आखिर जिनपिंग G-20 में शामिल नहीं होंगे.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
इस सवाल के जवाब को दुनियाभर के एक्सपर्ट्स के नजरिए से समझने की जरूरत है. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि G-20 से नदारद होना असाधारण बात है. यहां मकसद सिर्फ भारत को ठेस पहुंचाना भर नहीं है. दरअसल बात ऐसी है कि जिनपिंग भारत के बढ़ते दबदबे को स्वीकार नहीं करना चाहते. यानी कि चीन महाशक्ति के रूप में भारत के उदय से घबराया हुआ है.
आपको बताते चलें कि चीन इन दिनों रंग में भंग डालने पर आमादा है. वह देश पहले से ही G-20 के दस्तावेजों में संस्कृत भाषा के इस्तेमाल पर आपत्ति जता चुका है. चीन पहले ही ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ श्लोक के इस्तेमाल का विरोध करता आया है. इस मुद्दे पर रूस ने भी चीन का समर्थन नहीं किया है.
चीन की नाराजगी की वजह क्या है?
जहां भारत अब दुनिया का ग्रोथ इंजन है और भारत की विकास दर सबसे तेज है. तो ऐसे में चीन सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा है और भारत के उदय को खतरा मान रहा है. चीन इन दिनों ग्लोबल सप्लाई चेन में अपनी हिस्सेदारी खोने से डरा हुआ है.
जिनपिंग की मनाही से बाइडेन निराश
अब सवाल ये है क्या यही वजह है कि जिनपिंग ने जी-20 में भारत आने से इनकार कर दिया. इस सवाल का जवाब ढूंढ़ने से पहले यहां एक आंकड़े पर भी नजर डाल लेते हैं. साल 2012 से चीन की कमान संभालने वाले शी जिनपिंग ने हर जी-20 की बैठक में हिस्सा लिया, लेकिन भारत से किनारा कर लिया, अब उनकी जगह प्रधानमंत्री ली कियांग आएंगे. ये कितनी बड़ी हैरानी की बात है, उसका अंदाजा आप जो बाइडेन की प्रतिक्रिया से लगाइए, जिन्हें उनसे मुलाकात की उम्मीद थी. आज बाइडेन का एक वीडियो भी सामने आया जिसमें कि वो कहते हैं कि वो निराश हैं. बाइडेन ने कहा, ‘मैं निराश हूं, लेकिन मैं उनसे मिलूंगा’
यानी अमेरिका भी ये बात मानता है कि जिनपिंग का जी-20 से नदारद होना असाधारण बात है और इसकी सबसे बड़ी वजह केवल भारत को ठेस पहुंचाने के लिए शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेने से कहीं अधिक गहरी है. जानकार जिनपिंग की गैरमौजूदगी को दुनिया में भारत के बढ़ते दबदबे और उसकी केंद्रीय भूमिका के खिलाफ अनिच्छा के रूप में पढ़ रहे हैं. सीधे-सीधे शब्दों में समझें तो चीन भारत के महाशक्ति के रूप में उदय से घबराया हुआ है. यही वजह है कि वो भारत के नेतृत्व में हो रहे जी-20 की सफलता में अड़ंगा लगा रहा है.
सहयोग का नहीं रहा चीन का रवैय्या!
G-20 की पिछले कुछ महीनों में हुई बैठक में चीन का रवैय्या सहयोग का नहीं रहा है, जिन मुद्दों पर सभी की सहमति जरूरी है, उससे जुड़े प्रस्ताव चीन के विरोध के चलते अपने मुकाम तक नहीं पहुंच पाए. इस तरह जी-20 में चीन कहीं भी रोड़ा अटकाने से बाज नहीं आ रहा. चीन किस हद तक रंग में भंग डालने पर आमादा है, उसे आप इसी बात से समझ सकते हैं कि उसे वसुधैव कुटंबकम के इस्तेमाल से भी आपत्ति है.
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