बढ़ते गैस सिलेंडर के दामों को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने रसोई गैस सिलेंडर यानी एलपीजी के दाम 200 रुपये घटा दिए हैं. ये राहत सब्सिडी के रूप में मिली है. यानी, सरकार ये पैसा तेल कंपनियों को देगी.
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंगलवार को बताया था कि 200 रुपये की ये राहत सभी उपभोक्ताओं को मिलेगी. उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को अब कुल 400 रुपये की छूट मिलेगी. उन्होंने ये भी बताया कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत 75 लाख परिवारों को नए एलपीजी कनेक्शन भी दिए जाएंगे.
सरकार दावा कर रही है कि ये फैसला ओणम और रक्षाबंधन को देखते हुए लिया गया है. लेकिन विपक्ष इसे वोट बंटोरने की राजनीति बता रहा है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने X (पहले ट्विटर) पर सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने लिखा कि 2024 में परेशान जनता के गुस्से को 200 रुपये की सब्सिडी से कम नहीं किया जा सकता.
सब्सिडी कितनी… 200 या 400?
केंद्र सरकार ने सब्सिडी 200 रुपये की ही दी है. ये सब्सिडी सभी घरेलू उपभोक्ताओं को मिलेगी. उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को 200 रुपये की सब्सिडी पहले ही मिलती थी. इसका मतलब हुआ कि उन्हें अब कुल 400 रुपये की छूट मिलेगी.
तो कितने में पड़ेगा अब सिलेंडर?
ये सब्सिडी 14.2 किलोग्राम वाले एलपीजी सिलेंडर पर मिली है. राजधानी दिल्ली में 29 अगस्त को एलपीजी सिलेंडर की कीमत 1,103 रुपये का था. 200 रुपये की सब्सिडी के बाद इसकी कीमत 903 रुपये हो गई है. वहीं, उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को अब 703 रुपये में मिलेगा.
सरकार मई 2020 तक गैस सिलेंडर पर आम लोगों को सब्सिडी देती थी. लेकिन इसके बाद से सरकार ने सब्सिडी लगभग खत्म कर दी. इसका असर ये हुआ कि जिस सब्सिडी पर कभी सरकार का सालाना खर्च 37 हजार करोड़ रुपये से था, वो अब पांच गुना तक कम हो गया है.
गैस सिलेंडर की कीमतों में कटौती के दो पहलू हैं. पहला तो ये कि खुदरा महंगाई दर तेजी से बढ़ रही है. जुलाई 2023 में खुदरा महंगाई दर 7.44% रही थी, जो 15 महीनों में सबसे ज्यादा थी.
इतना ही नहीं, मई 2020 से गैस सिलेंडर की कीमत दोगुनी हो गई थी. मई 2020 में दिल्ली में 14.2 किलो वाले गैस सिलेंडर की कीमत 581 रुपये थी, जो अब बढ़कर 11 सौ के पार चली गई थी. गैस की बढ़ती कीमतों को लेकर सरकार अक्सर विपक्ष के निशाने पर थी.
इन सबके अलावा, सरकार के इस फैसले को कांग्रेस के वादों की काट के तौर पर देखा जा रहा है. राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार 500 रुपये में सिलेंडर दे रही है. मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस ने सरकार बनने पर 500 रुपये में सिलेंडर देने का वादा किया है.
चुनाव और सब्सिडी में क्या कनेक्शन?
कुछ ही महीनों में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इनमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना शामिल है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 200 रुपये की इस सब्सिडी का फायदा 40 करोड़ से ज्यादा परिवारों को मिलेगा. इनमें साढ़े 31 करोड़ परिवार आम उपभोक्ता हैं. जबकि, साढ़े 9 करोड़ से ज्यादा उज्ज्वला योजना के लाभार्थी हैं.
अब अगर आंकड़ों पर गौर करें, तो 5.24 करोड़ से ज्यादा आम उपभोक्ता पांच चुनावी राज्यों में हैं. इन्हीं पांच राज्यों में करीब दो करोड़ उज्ज्वला योजना के लाभार्थी हैं. यानी, कुल मिलाकर इन पांच राज्यों के 7.22 करोड़ से ज्यादा उपभोक्ताओं को इसका फायदा मिलेगा. यही वजह है कि चुनाव से कुछ महीने पहले सब्सिडी देने के फैसले के सरकार के फैसले पर विपक्ष आपत्ति जता रहा है.
कैसे तय होती है LPG की कीमत?
एलपीजी यानी लिक्विड पेट्रोलियम गैस. ये प्रोपेन और ब्यूटेन से मिलकर बनती है. प्रोपेन और ब्यूटेन, दोनों की कीमतें अलग-अलग होतीं हैं.
भारत अपनी जरूरत की 60% एलपीजी बाहर से खरीदता है. 2022-23 में देशभर में 285 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा एलीपीजी की खपत हुई थी. इसमें से 183 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा एलीपीजी इम्पोर्ट की गई थी.
एलपीजी की कीमत तय करने के लिए इंपोर्ट पैरिटी प्राइस फॉर्मूला यानी IPP का फॉर्मूला अपनाया जाता है. इसमें कई तरह की कीमतें शामिल होती हैं.
आईपीपी में सबसे पहले सऊदी अरब की तेल और गैस कंपनी सऊदी अरामको की ओर से तय कीमत को जोड़ा जाता है. इसके बाद इसमें फ्री ऑन बोर्ड जोड़ा जाता है. ये किराया होता है जो गैस कंपनी से बंदरगाह पर खड़े जहाज तक गैस लाने के लिए देना होता है.
बाद में इसमें समुद्र के रास्ते गैस लाने का किराया भी जोड़ा जाता है. आखिर में इम्पोर्ट करने के लिए जो ड्यूटी लगती है, वो भी जुड़ती है. देश में आने के बाद किराया, टैक्स, डीलर कमीशन जोड़कर एलपीजी सिलेंडर की कीमत तय होती है.
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