COVID-19 New Variant BA.2.86: कोविड-19 दिसंबर 2019 से फैलना शुरू हुआ था. चीन से शुरू होकर यह वायरस पूरी दुनिया में फैल गया था जो लाखों मौतों का कारण बना. 3 साल के बाद भी कोरोना पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है. हाल ही में कोविड-19 के नए-नए वैरिएंट को देखते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मुख्य सचिव पीके मिश्रा ने वर्तमान कोविड-19 स्थिति और उसके लिए की गई तैयारियों की समीक्षा के लिए एक हाई लेवल मीटिंग की अध्यक्षता की. इस मीटिंग में कोविड-19 की वैश्विक और राष्ट्रीय स्थिति की समीक्षा की गई. साथ ही दुनिया भर में फैले मौजूदा वैरिएंट और उसके क्या प्रभाव हो सकते हैं? इस बारे में भी जानकारी ली गई.
यह वायरस बार-बार अपना रूप बदल कर सामने आ जा रहा है. कुछ समय पहले ओमिक्रॉन वैरिएंट का एक वंशज ईजी.5.1 के कारण दुनिया में कोरोना के मामले बढ़ने की खबर सामने आई थी कि अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और रोग नियंत्रण केंद्र (CDC) ने कोविड-19 के एक और वैरिएंट के बारे में बताया है. इस वैरिएंट का नाम BA.2.86 है, जिसे पिरोला (Pirola) नाम से भी जाना जा रहा है.
डब्ल्यूएचओ की SARS-CoV-2 वैरिएंट मॉनिटरिंग लिस्ट में शामिल करने के बाद इस वैरिएंट पर निगरानी रखने की भी सलाह दी गई है. सीडीसी के मुताबिक, यह वैरिएंट अमेरिका, डेनमार्क, इजराइल और यूके सहित कई देशों में पाया गया है. डब्ल्यूएचओ ने भी एक्स पर पोस्ट करते हुए बीए.2.86 के बारे में बताया था और अधिक म्यूटेशन के कारण इसे ‘वैरिएंट अंडर मॉनिटरिंग’ माना है.
हेल्थ एक्सपर्ट और साइंटिस्ट इस नए वैरिएंट पर बारीकी ने नजर रख रहे हैं कि क्या यह वैरिएंट बड़ा खतरा पैदा कर सकता है? हालांकि फिलहाल विशेषज्ञों का कहना है कि अभी तक घबराने की कोई जरूरत नहीं है. यह नया वायरस BA.2.86 (पिरोला) क्या है, इसके लक्षण क्या हैं इस बारे में भी जान लीजिए.
BA.2.86 (पिरोला) के बारे में ये भी जानें
BA.2.86 को पिरोला नाम से जाना जा रहा है. पिरोला वायरस का एक नया लीनेज है जो COVID-19 का कारण बनता है.वैश्विक जीनोम सीक्वेंसिंग के ओपन प्लेटफॉर्म GISAID के डेटाबेस के अनुसार, BA.2.86 में 30 से अधिक म्यूटेशन हैं जो वर्तमान में फैल रहे अन्य वैरिएंट से अधिक है. WHO द्वारा इसे तेजी से म्यूटेट होने वाली लिस्ट में शामिल किया गया है. हालांकि वैज्ञानिक अभी तक यह निर्धारित नहीं कर पाए हैं कि क्या इन म्यूटेशन के कारण वायरस फैलने की दर अधिक हो सकती है.
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के वायरोलॉजिस्ट डॉ. एंड्रयू पेकोज (Dr. Andrew Pekosz) ने टुडे डॉट कॉम को बताया, ‘ऐसा लगता है कि यह वैरिएंट ओमिक्रॉन BA.2 सबलीनेज से आया है जो 2022 में सबसे अधिक मामलों का कारण बना था. इस वैरिएंट के बारे में जरूरी बात यह है कि इसमें ओमिक्रॉन वैरिएंट की तुलना में अधिक म्यूटेशन हैं. BA.2.86, ओमिक्रॉन XBB सब-वैरिएंट से भी बहुत अलग दिखता है.’
महामारी साइंटिस्ट और प्रोफेसर नील फर्ग्यूसन (Professor Neil Ferguson) ने कहा, ‘यह वैरिएंट तेजी से फल रहा है. पिरोला के मामले ऐसे समय सामने आए हैं जब एक बार फिर से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं. इससे यह चिंता बढ़ गई है कि ब्रिटेन एक और लहर की कगार पर है. यह वो समय है जब सर्दियों में नेशनल हेल्थ सर्विस सबसे अधिक व्यस्त होती है. हॉस्पिटल के आंकड़ों से पता चलता है कि इंग्लैंड में दैनिक कोविड के मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है.’
फ्रेड हच कैंसर सेंटर के एक वायरोलॉजिस्ट जेसी ब्लूम (Jesse Bloom) का कहना है, ‘BA.2.86 मौजूदा वैरिएंट की तुलना में कम संक्रामक हो सकता है इसलिए यह बड़े पैमाने पर नहीं फैल सकता. हालांकि सटीक जानकारी के लिए अधिक म्यूटेशन डेटा की जरूरत है.’
BA.2.86 के लक्षण क्या हैं?
डॉ. एंड्रयू का कहना है कि BA.2.86 सब-वैरिएंट इतना नया है कि संक्रमण से जुड़े लक्षणों के बारे में कोई डेटा मौजूद नहीं है क्योंकि इसके मामले अभी काफी कम हैं. अभी तक यह भी पता नहीं चला है कि क्या यह कोई नए लक्षण पैदा करेगा. सीडीसी के मुताबिक, कोरोना से खुद को सुरक्षित रखने के लिए जिन लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए वो पिछले वैरिएंट की तरह ही हैं जिसमें नीचे बताए हुए लक्षण सामने आ सकते हैं.
– खांसी
– गला खराब होना
– बहती नाक
– छींक आना
– थकान
– सिरदर्द
– मांसपेशियों में दर्द
– गंध ना आना
– नाक बहना
– सिरदर्द
वैक्सीन और इम्यूनिटी वायरस पर बेअसर: डॉ. एंड्रयू
डॉ. एंड्रयू का कहना है, ‘नया वैरिएंट पिरोला कहां फैल रहा है और कितनी तेजी से फैल रहा है, इस बारे में अभी बताना काफी जल्दबाजी होगी. अभी तक इस वैरिएंट के काफी कम मामले हैं और इससे बीमारी की गंभीरता और फैलने की उत्पत्ति के बारे में अनुमान लगाना असंभव है. हालांकि, BA.2.86 के म्यूटेशन के बारे में हम जानते हैं जिसके आधार पर कह सकते हैं कि यह वैरिएंट संभवतः पहले से मौजूद कोविड-19 इम्यूनिटी से बचने में सक्षम होगा.’
डॉ. एंड्रयू ने आगे बताया, ‘हमने स्पाइक प्रोटीन में जो अधिकतर म्यूटेशन देखते हैं वो वायरस को बेअसर करने के लिए एंटीबॉडी की क्षमता को प्रभावित करने वाले हैं. नया वैरिएंट पिरोला कोरोना वैक्सीन और पहले से डेवलप हुई इम्यूनिटी को भी मात दे सकता है और प्रभावित व्यक्ति को शिकार बना सकता है. उन्होंने कहा कि ये वैरिएंट वैक्सीन से पैदा हुई इम्युनिटी को छका सकता है. इसलिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह वैरिएंट काफी चिंताजनक है लेकिन इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए और भी मामलों की जांच करनी होगी.’
कुछ समय पहले उभरा था ईजी.5.1 सब-वैरिएंट
ईजी.5.1 को एरिस नाम से जाना जाता है. इसके उभरने के बाद डब्ल्यूएचओ ने ईजी.5 को ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ डिक्लेयर किया था. EG.5.1 में दो अतिरिक्त F456L और Q52H म्यूटेशन हैं जबकि EG.5 में केवल F456L है. ईजी.5.1 में एक्स्ट्रा छोटा म्यूटेशन, स्पाइक प्रोटीन में Q52H म्यूटेशन के कारण ईजी.5.1, ईजी.5 के मुकाबले तेजी से फैलता है.
बीजे गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, पुणे के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और हेड डॉ. राजेश कार्यकार्टे (Dr Rajesh Karyakarte) ने कहा, ‘ईजी.5.1, ओमिक्रॉन वैरिएंट XBB.1.9.2 का सब-वैरिएंट है. इसके मूल स्ट्रेन की तुलना में इसमें दो अतिरिक्त स्पाइक म्यूटेशन (Q52H, F456L) हैं. यह सब-वैरिएंट 39 देशों और 38 अमेरिकी राज्यों में पाया गया है.’
भारत में अभी तक ईजी.5.1 वैरिएंट का केवल एक मामला सामने आया है जो मई 2023 में सामने आया था. डब्ल्यूएचओ ने 19 जुलाई 2023 को ही ईजी.5.1 पर बारीकी ने नजर रखने के लिए कह दिया था. डब्ल्यूएचओ चीफ टेड्रोस एडनॉम घेबियस ने चेतावनी दी थी कि ‘आने वाले समय में अधिक खतरनाक वैरिएंट उभरने का खतरा बना हुआ है जो मामलों और मौतों में अचानक वृद्धि का कारण बन सकता है.
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