नई दिल्ली. कभी देश में रिटेल किंग कहे जाने वाले फ्यूचर ग्रुप (Future Group) के चीफ किशोर बियानी (Kishore Biyani) ने बीते कई सालों में लगातार कर्ज लिया है. जिस वजह से फ्यूचर रिटेल 105 करोड़ रुपये के लोन के ब्याज को चुकाने में असमर्थ रही है इसके बाद इस कंपनी का डिफ़ॉल्ट होने का खतरा बढ़ गया है. 30 सितंबर 2019 को फ्यूचर ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों का कर्ज बढ़कर 12,778 करोड रुपए हो गया था, जो 31 मार्च 2019 को 10,951 करोड रुपए था. बियानी के पास कुछ ड्यूज पेमेंट करने के लिए मार्च तक की डेडलाइन ही थी, लेकिन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की रोक ने फ्यूचर ग्रुप को थोड़ी राहत दे दी. फरवरी 2020 के मध्य में बियानी के कर्ज ना उतार पाने की क्षमता की बात मार्केट में होने लगी, जिसके बाद कंपनी के शेयर तेजी से नीचे गिरने लगे. इसके बाद कर्जदाता लोन के बदले बियानी से ज्यादा शेयर मांगने लगे.
कोरोना संकट की वजह से क़र्ज़ में डूबी कंपनी
इस बीच कोरोना के संकट ने एक तरफ कंपनी को कर्ज चुकाने के लिए कुछ मोहलत दी तो दूसरी तरफ कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ और तमाम स्टोर ही कंपनी को बंद करने पड़ गए. नकदी की बढ़ती कमी ने कंपनी को कर्ज पर डिफॉल्ट होने के लिए मजबूर कर दिया.
जानिए कैसे मिली थी बियानी को अपने बिज़नेस में कामयाबी
रिटेल किंग किशोर बियानी जिस कारोबार में हैं उस कारोबार में देश के बड़े बिजनेस घराने फेल हो गए, वहीं बियानी ने एक बड़ा एंपायर खड़ा कर दिया है.
कभी दादा संग बेचीं साड़ियां: किशोर बियानी का जन्म मध्यमवर्गीय परिवार में राजस्थान में हुआ था. उनके दादा कभी राजस्थान से मुंबई में धोती और साड़ियां का बिज़नेस करने आए थे. मुंबई से महज 22 की उम्र में किशोर ने ट्राउजर बनाने का काम शुरू किया, जो चल निकला. उनकी कंपनी पैंटालून पूरी दुनिया में बिज़नेस कर रही है.
चल निकली कंपनी: 22 के होते ही घर वालों ने राठी परिवार की संगीता से उनकी शादी कर दी. ट्राउजर का काम शुरू किया, यह चल निकला. 1987 तक नई कंपनी मैंस वियर प्रा. लि. शुरू की. इसमें कपड़े पैंटालून के नाम से बेचे जाते थे. यह नाम इसलिए चुना, क्योंकि यह ऊर्दू शब्द पतलून के करीब था. इसे चुनिंदा दुकानों पर ही बेचा जाता था. 1991 में गोवा में पेंटालून शॉप शुरू की और 1992 में शेयर बाजार से पैसा जुटाकर ब्रैंड खड़ा कर दिया. तब से यह लगातार बढ़ता ही जा रहा है.
शुरू से ही नया करने का शौक: 4- 15 साल की उम्र में ही किशोर बियानी मुंबई के सेंचुरी बाजार में जाने लगे थे. पढ़ाई में ज्यादा अच्छे नहीं थे. पिता और दो कजिन के साथ काम करते थे, लेकिन उनके काम की अप्रोच किशोर को पसंद नहीं थी. तब खुद की मिल डालकर स्टोनवॉश बेचना शुरू किया. मुंबई की छोटी दुकानों पर वे इसे बेचते थे. तब उनके स्टोर को ट्रेड बॉडी में भी शामिल नहीं किया जाता था.
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Tags: Retail company, Retail segment
FIRST PUBLISHED : August 25, 2020, 12:16 IST
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