पिछले हफ्ते ने भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में उस समय एक बड़ी छलांग लगाई जब इसरो का चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा. ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का पहला देश है. इसके अलावा, अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने वाला चौथा देश बन गया. चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम से वीडियो और तस्वीरें सामने आ रही हैं वहीं लैंडर से बाहर निकलते ही रोवर भी लगातार जानकारियां भेज रहा है.
इसरो ने शेयर किया वीडियो
इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर समय-समय पर चंद्रमा विक्रम लैंडर और चंद्रयान -3 के प्रज्ञान रोवर के वीडियो और फोटो शेयर कर रहा है. इसरो ने अपने एक अपडेट में बताया कि प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की सतह पर आठ मीटर की दूरी तक घूमा है. इसरो ने एक वीडियो जारी किया जिसमें प्रज्ञान रोवर विक्रम लैंडर के रैंप से बाहर निकलने का वीडियो जारी किया.
अभी तक क्या मिला
इसरो ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, ‘यहां विक्रम लैंडर पर चेस्ट पेलोड के पहले अवलोकन हैं. चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझने के लिए, चेस्ट ने ध्रुव के चारों ओर चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी के तापमान प्रालेख को मापा.’ ग्राफिक के बारे में इसरो वैज्ञानिक बीएचएम दारुकेशा ने पीटीआई को बताया, ‘हम सभी मानते थे कि सतह पर तापमान 20 डिग्री सेंटीग्रेड से 30 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास हो सकता है, लेकिन यह 70 डिग्री सेंटीग्रेड है. यह आश्चर्यजनक रूप से हमारी अपेक्षा से अधिक है.’
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रहस्यों को करेगा उजागर
प्रज्ञान रोवर का प्राथमिक मिशन चंद्रमा की सतह पर का पता लगाना, चंद्रमा के भूविज्ञान के रहस्यों को उजागर करना, इसकी संरचना और इतिहास के बारे में पता लगाना है. इसके अलावा चंद्रयान-3 रोवर 14 दिनों तक प्रयोग करेगा, जिसमें चंद्रमा की सतह की खनिज संरचना का विश्लेषण भी शामिल है. इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि भारत अगला मानवयुक्त चंद्र मिशन का प्रयास करेगा. इसरो अध्यक्ष के अनुसार, रोवर प्रज्ञान आगे बढ़ रहा है और “बहुत अच्छे” से काम कर रहा है.
अब एक ही हफ्ते और काम करेगा रोवर
रोवर चंद्रमा पर 1 दिन (पृथ्वी के 14 दिन) काम करेगा. रोवर प्रज्ञान में 6 व्हील के अलावा इसमें नेविगेशन कैमरा और 50W वाले सोलर पैनल लगे हैं. ये सीधा लैंडर से Rx/Tx एंटीना के जरिए कनेक्ट करता है.कैमरा पिक्चर क्लिक करके विक्रम लैंडर को भेजते रहेगा.विक्रम और प्रज्ञान लैंडिंग के बाद महज 14 दिनों तक जारी रह सकेगा क्योंकि विक्रम और प्रज्ञान की ज़िंदगी सिर्फ़ इतनी ही है. चांद पर बीते 23 अगस्त को सूरज उगा था जो 5-6 सितम्बर तक ढल जाएगा यानि अब इन दोनों की लाइफकरीब एक हफ्ता ही बची है.
अभी तक तो चंद्रयान के लैंडर और रोवर अपने सोलर पैनल्स के जरिए पावर जनरेट कर रहे हैं. लेकिन सबसे कठिन समय तब आएगा जब 14 दिन बाद वहां रात होगी. रात होने पर इन्हें ऊर्जा का स्त्रोत नहीं मिलेगा तो पावर जनरेट होने का प्रोसेस रूक जाएगा और ऊर्जा नहीं मिलेगी तो तब भीषण ठंड को ये शायद ही झेल ना पाएं. इसलिए इसकी उम्र 14 दिन की बताई जा रही है.
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