किसी भी देश में युवा के लिए रोजगार एक बेसिक जरूरत होता है. लेकिन भारत में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को विपक्ष रोजगार के मुद्दे पर अक्सर घेरता आया है. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वर्चुअल मौजूदगी में सोमवार को रोजगार मेला आयोजित हुआ, इस दौरान 51 हजार युवाओं को नियुक्ति पत्र दिया गया. इस मौके पर उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए युवाओं को संबोधित भी किया.
पीएम ने इस दौरान भरोसा दिलाया कि 2030 तक भारत दुनिया की टॉप-3 अर्थव्यवस्था में शामिल हो जाएगा. लेकिन मोदी सरकार के रोजगार मेले पर कांग्रेस ने आज फिर तीखा हमला किया. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बीजेपी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि 2 करोड़ रोजगार का वादा किया लेकिन कुछ हजार नियुक्ति पत्र ही बांटे गए.
देश में रोजगार की स्थिति क्या है?
ऐसे में आइए समझ लेते हैं कि देश में रोजगार और नियुक्तियों की स्थिति क्या है? आपको बता दें कि भाजपा सरकार अपना दूसरा कार्यकाल पूरा कर रही है. यानी 9 वर्ष से ज्यादा का समय नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के तौर पर बिता चुके हैं. BJP सरकार के इन 9 वर्षों के पहले आठ साल में 7 लाख नौकरियां केंद्र सरकार ने दी और अब 10 महीने के भीतर ही साढ़े पांच लाख नियुक्ति पत्र युवाओं को बांट दिए गए हैं. जिसे देखकर कांग्रेस सवाल उठा रही है और बीजेपी इसे अपनी कामयाबी बताती है.
51 हजार लोगों को बांटे गए नियुक्ति पत्र
बता दें कि देश में सोमवार को आठवां रोजगार मेला लगा. 51 हजार लोगों को नियुक्ति पत्र बंटा. खुद वर्चुअल तरीके से प्रधानमंत्री जुड़े. यहां प्रधानमंत्री मोदी ने युवाओं को संबोधित भी किया. प्रधानमंत्री देश के युवाओं को लेकर पहले भी काफी उम्मीदें जता चुके हैं. पीएम मोदी ने 7 महीने पहले कहा था कि आज भारत एक युवा देश है, दुनिया की बड़ी युवा आबादी हमारे देश में है. युवा शक्ति इज द ड्राइविंग फोर्स ऑफ इंडियाज जर्नी. पीएम ने कहा था कि अगले 25 साल देश के निर्माण के लिए बहुत जरूरी हैं.
सबसे युवा देश है भारत
यानी पीएम ने जिस युवा शक्ति को भारत के सुहाने सफर की ड्राइविंग फोर्स बताया था. उससे जुड़े एक आंकड़े पर नजर डाल लेते हैं. आज दुनिया का हर पांचवां युवा भारतीय है. 18 से 29 साल का युवा देश में 26 करोड़ है. जिसे डेमोग्राफिक डिविडेंड कहा जा सकता है. हिंदी में कहें जो जनसांख्यिकीय लाभांश. दावा है कि इसी युवा शक्ति का फायदा उठाने का पीरियड करीब 10 साल है, जो 2021 में शुरू हो चुका है. तो युवा से लाभ देश को तब मिलेगा जब सरकारें इनके लिए खुद से सक्रियता दिखाकर इनकी जरूरतों पर ध्यान देंगी. वर्ना 26 करोड़ युवा शक्ति सिर्फ आंकड़ा बनकर रह जाएगी.
इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रोजगार मेलों के जरिए युवाओं को नियुक्ति पत्र लगातार बांटने में जुटे हैं. युवाओं को रोजगार देने से जुड़ी बात पर सरकार तीन दावे करती रही है.
पहला दावा
मुद्रा योजना से अभी तक 24 लाख करोड़ रुपये से अधिक के लोन दिए जा चुके हैं. इसमें करीब 8 करोड़ साथी ऐसे हैं, जिन्होंने पहली बार कोई बिजनेस शुरू किया है, अपना काम शुरू किया है.
दूसरा दावा
पीएम स्वनिधि योजना के तहत करीब-करीब 43 लाख स्ट्रीट वेंडर्स को, रेहड़ी-पटरी वाले जो लोग होते हैं. उनका पहली बार बैंकों से बिना गारंटी का लोन एप्रूव हुआ है.
तीसरा दावा
पीएम ने कहा, ‘साथियों 2030 तक हमारी अर्थव्यवस्था में टूरिज्म सेक्टर का योगदान 20 लाख करोड़ से ज्यादा का होने का अनुमान है. माना जा रहा है कि अकेले इस इंडस्ट्री से 13 से 14 करोड़ लोगों को नए रोजगार की संभावना बढ़ने वाली है.’
मंत्री के दावे पर सवाल
रोजगार के इन दावों के बीच मुद्दा सरकारी नौकरियों का सबसे ज्यादा उठता है. तब देश के अलग-अलग राज्य में नियुक्ति पत्र बांटते मंत्रियों ने अनेकों दावे किए हैं. इस बीच केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे का एक बयान भी पढ़िए.
केंद्रीय मंत्री ने कहा था, ‘जो प्रधानमंत्री ने कहा था वो करके दिखा रहे हैं, अभी दस लाख के बारे में कहा था, 10 लाख से ज्यादा ही आंकड़े पहले हो गया. अब ये आंकड़ा ग्यारह लाख होने जा रहा है, जो कहा था उससे बहुत अधिक बढ़ रहे हैं. देश के बेरोजगार को सरकारी नौकरी मिल रही है.’
10 महीने में 5 लाख 50 हजार युवाओं को दी गई नौकरी
शायद केंद्रीय मंत्री जल्दबाजी में ये बात कह गए. क्योंकि सच्चाई है कि अक्टूबर 2022 में 71 हजार युवाओं को नियुक्ति पत्र सौंपे गए थे. उसके बाद नवंबर 2022 में 75 हजार, फिर जनवरी 2023 में 71 हजार, अप्रैल 2023 में 71 हजार को नौकरी, इसके बाद मई 2023 में 71,000 फिर 13 जून को 70,000, इसके बाद 22 जुलाई यानी पिछले महीने 70 हजार से ज्यादा और अब 28 अगस्त को 51 हजार युवाओं को नौकरी दी गई. यानी 10 महीने में 8 रोजगार मेले के जरिए करीब 5 लाख 50 हजार युवाओं को नौकरी दे चुके हैं. यानी अभी एक साल होने में दो महीने बाकी हैं और तय लक्ष्य से साढ़े चार लाख पद भरने भी बाकी हैं.
ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी ट्वीट कर सरकार को घेरा. उन्होंने लिखा कि सालाना 2 करोड़ नौकरियां देने का वादा कर, मोदी जी हमारे युवाओं को इस तरह के EMI के रूप में कुछ हजार भर्ती पत्र बांट रहे हैं. जिसे सरकार के मंत्री खारिज करते हैं.
युवाओं को रोजगार मिलना वाकई खुशहाली का ही प्रतीक है. लेकिन ये खुशहाली किश्तों में कैसे मिलती आई है. इससे जुड़े कुछ फैक्ट्स पर नजर डालते हैं…
1- पहला फैक्ट-
2014-15 से 2021-22 के बीच 22 करोड़ लोगों ने नौकरी केंद्र में पाने के लिए आवेदन किया. तो आठ साल में सिर्फ 7,22,311 लोगों की नौकरी मिल पाई.
2- दूसरा फैक्ट
पहले आठ साल में केंद्र में नौकरी का मकसद लेकर 22 करोड़ नौकरी का फॉर्म भरने वालों में सिर्फ 0.33 फीसदी युवा ही केंद्र में नौकरी पा सके.
3- तीसरा फैक्ट
2014-15 से 2021-22 के बीच आठ साल में हर वर्ष औसत 90,288 लोग ही सरकारी नौकरी केंद्र में पा रहे थे.
4- चौथा फैक्ट
शुरुआती आठ साल में हर साल 0.07 फीसदी से लेकर 0.80 प्रतिशत लोगों को ही नौकरी मिली है. यानी 8 साल में कोई वर्ष ऐसा नहीं आया, जब आवेदन करने वालों में से औसत 1 प्रतिशत या एक फीसदी से ज्यादा लोगों को नौकरी केंद्र में मिल पाई हो.
5- पांचवा फैक्ट
लेकिन फिर अक्टूबर 2022 से अगस्त 2023 के बीच रोजगार मेलों के जरिए ही सीधे 5 लाख से ज्यादा नौकरियां दे दी गई हैं.
ये पांच प्वाइंट इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि जो सक्रियता अभी शुरू हुई है. इसी सक्रियता के साथ पहले भी नियुक्ति पत्र बंट सकते थे. देश के 26 करोड़ युवाओं को सिर्फ एक केंद्र सरकार नौकरी नहीं देगी. राज्यों को भी नौकरी देनी है. हमारे देश का युवा हर सरकार से चाहता क्या है? सिर्फ डिग्री नहीं योग्य बनाने वाली शिक्षा चाहता है. स्कूल कॉलेज ही नहीं बल्कि स्कूल कॉलेज में पर्याप्त शिक्षक चाहता है. शिक्षा के बाद रोजगार के मौके और सरकारी नौकरियों में खाली पदों पर तय समय के भीतर भर्ती चाहता है. लेकिन आज की हकीकत कुछ और ही है.
– हमारे देश एक युवा औसत 3 साल, 3 महीने भर्ती परीक्षाओं की तैयारी में बिता रहा है.
– हमारे देश में हर साल करीब 3 करोड़ बेरोजगार नौजवान प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठ रहा है.
– हमारे देश में हर बेरोजगार औसत हर साल 2 लाख रुपए भर्ती की तैयारी और रहने खाने में खर्च कर रहा है.
– हमारे देश में हर एक सरकारी नौकरी के लिए औसत 305 बेरोजगार युवाओं के बीच में प्रतिस्पर्धा होती है.
प्रांजुल भंडारी जो कि HSBC में Chief India Economist हैं. इनकी एक स्टडी बताती है कि अगले 10 साल में देश में 7 करोड़ नौकरियों की जरूरत है. जबकि 2 करोड़ 40 लाख नौकरी के मौके ही आने की आशंका है. यानी नौकरी के मौके कम हैं. नौकरी की जरूरत ज्यादा है और नौकरी मांगने वालों की संख्या तो और भी बहुत ज्यादा.
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