Raksha Bandhan 2023 Bhadra Puchh Kaal: इस साल रक्षाबंधन का त्योहार भद्रा के साए में मनाया जाएगा. 30 अगस्त को पूरे दिन भद्रा रहेगी, जिसके चलते त्योहार दो तिथियों में बंट गया है. रक्षाबंधन 30 अगस्त की रात और 31 अगस्त की सुबह मनाया जाएगा. शास्त्रों के अनुसार, भद्रा काल में भाई को राखी बांधना वर्जित माना गया है. एक प्रचलित कथा के मुताबिक, शूर्पनखा ने भद्रा काल में ही रावण को राखी बांधी थी और लंकेश का पूरा साम्रज्य उजड़ गया था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भद्रा काल में एक पहर ऐसी भी होती है, जिसमें भाई को राखी बांधी जा सकती है.
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरुणेश कुमार शर्मा ने भद्रा काल में भाई को राखी बांधने का समय और नियम बताए हैं. ज्योतिषविद के अनुसार, भद्रा के पुच्छ काल में भाई को राखी बांधी जा सकती है. इस अवधि में भद्रा का प्रभाव कम हो जाता है और रक्षाबंधन मनाने वालों पर इसका कोई असर नहीं होता है. भद्रा पुच्छ काल सूर्योदय के बाद शुरू हो जाता है.
कितने बजे है भद्रा पुच्छ? (Raksha bandhan bhadra Puchh kaal)
ज्योतिषविद ने बताया कि 30 अगस्त को शाम में 5 बजकर 19 मिनट से भद्रा पुच्छ आरंभ हो जाएगा और इसका समापन 6 बजकर 31 मिनट पर होगा. विशेष स्थिति में रक्षाबंधन मनाने वाले भद्रा पुच्छ काल में भाई को राखी बांध सकते हैं. इस अवधि से चूकने वालों को रात 9 बजकर 2 मिनट के बाद जब भद्रा समाप्त होगी, तभी राखी बांधने का मौका मिलेगा.
राखी बांधते हुए इस मंत्र का करें जाप
रक्षाबंधन का रक्षासूत्र लाल, पीले और सफेद रंग का होना चाहिए. रक्षासूत्र या राखी हमेशा मंत्रों का जाप करते हुए ही बांधनी चाहिए. इस दिन बहनें भाई को राखी बांधते समय येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वाम रक्ष बध्नामि, रक्षे माचल माचल:।। इस मंत्र का उच्चारण करें.
30 अगस्त को कितने बजे है भद्रा काल? (Raksha Bandhan Bhadra Kaal Timing)
30 अगस्त को सुबह 10 बजकर 59 मिनट से श्रावण पूर्णिमा आरंभ हो जाएगी. इसके साथ ही भद्रा काल आरंभ हो जाएगा, जो कि रात 9 बजकर 02 मिनट तक रहेगा. यानी 30 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन करीब 10 घंटे का भद्रा काल रहने वाला है.
कब मुश्किल बढ़ाता है भद्रा का साया?
चंद्रमा जब मेष, वृष, मिथुन या वृश्चिक राशि में रहता है, तब भद्रा का वास स्वर्ग लोक में होता है. जब चन्द्रमा कन्या, तुला, धनु या मकर राशि में होता है, तब भद्रा का वास पाताल लोक में होता है. और जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होता है, तब भद्रा का वास पृथ्वी लोक में होता है. इस बार भद्रा कुंभ राशि में लग रही है. इसलिए इसका प्रभाव पृथ्वी पर ज्यादा रहेगा.
रक्षाबंधन का पौराणिक और धार्मिक महत्व
रक्षाबंधन का त्योहार हर साल श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई की रक्षा के लिए उनके कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और उनके लिए मंगलकामनाएं करती हैं. राजसूय यज्ञ के समय भगवान कृष्ण को द्रौपदी ने रक्षा सूत्र के रूप में अपने आंचल का टुकड़ा बांधा था. कहते हैं कि इसके बाद से बहनों द्वारा भाई को राखी बांधने की परंपरा शुरू हुई.
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