Raksha Bandhan 2023: रक्षाबंधन के त्योहार पर आज भद्रा का साया रहेगा. शास्त्रों में भद्रा काल में भाई को राखी बांधना वर्जित माना गया है. कहते हैं कि इस अशुभ घड़ी में भाई को राखी बांधने से उसके जीवन में संकट आने लगते हैं. इस बार भद्रा काल के साथ राहुकाल भी रक्षाबंधन के त्योहार में खटास डालने वाला है. ज्योतिषविद अरुणेश कुमार शर्मा का कहना है कि आज भद्रा काल के बीच राहुकाल भी लगेगा. इस अशुभ घड़ी में भाई को राखी बांधने की गलती बिल्कुल न करें.
भद्रा के साथ राहुकाल बढ़ाएगा मुश्किल (Raksha Bandhan 2023 Rahu Kaal Timing)
ज्योतिष गणना के अनुसार, आज पूर्णिमा तिथि लगने के साथ ही भद्रा काल आरंभ हो जाएगा, जो कि रात 9 बजकर 02 मिनट तक रहेगा. इस दौरान दोपहर को 12 बजकर 22 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 58 मिनट तक राहुकाल लगेगा. यानी भद्रा के बीच पूरे 1 घंटे 36 मिनट के लिए राहुकाल लगेगा. यह वो अवधि है, जिसमें राखी बांधना या कोई भी शुभ कार्य करना अनुचित होगा. आप अगर 30 अगस्त को ही रक्षाबंधन मना रहे हैं तो रात 9 बजकर 2 मिनट के बाद ही राखी बांधें.
31 अगस्त को रक्षाबंधन का मुहूर्त (Raksha Bandhan 2023 Shubh Muhurt)
अगर आप भद्रा के डर से 30 अगस्त की जगह 31 अगस्त को रक्षाबंधन मना रहे हैं तो इस दिन का शुभ मुहूर्त भी जान लीजिए. 31 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट से पहले राखी बांधे सकते हैं. हालांकि, 31 अगस्त को ब्रह्म मुहूर्त में राखी बांधने का सबसे अच्छा मुहूर्त रहेगा. इस दिन सुबह 4 बजकर 26 मिनट से लेकर से लेकर सुबह 5 बजकर 14 मिनट तक ब्रह्म मुहूर्त रहेगा. यानी ब्रह्म मुहूर्त में भाई को राखी बांधने के लिए आपको पूरे 48 मिनट का समय मिल रहा है. सनातन परंपरा में ब्रह्म मुहूर्त को बहुत ही शुभ माना गया है. इस अबूझ मुहूर्त में भाई को राखी बांधने से उसका निश्चित ही भाग्योदय होगा.
भाई को कैसी राखी बांधें?
रक्षाबंधन की राखी या रक्षासूत्र तीन धागों का होना चाहिए- लाल पीला और सफेद. अन्यथा इसमें लाल और पीला धागा तो होना ही चाहिए. रक्षासूत्र में चंदन लगा हो तो यह और भी उत्तम माना जाता है. कुछ न होने पर कलावा भी श्रद्धापूर्वक बांध सकते हैं.
कैसे मनाएं रक्षाबंधन?
रक्षाबंधन के दिन स्नानादि के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें. भगवान की पूजा करने के बाद एक थाल में रोली, चंदन, अक्षत, दही, रक्षासूत्र और मिठाई रखें. भाई की आरती करने के लिए घी का एक दीपक भी रखें. राखी बांधते समय भाई और बहन का सिर खुला नहीं होना. सिर पर दुपट्टा या रुमाल जरूर रखें.
रक्षा सूत्र और पूजा की थाल सबसे पहले भगवान को समर्पित करें. इसके बाद भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुंह करवाकर बैठाएं. पहले भाई को तिलक लगाएं. फिर रक्षा सूत्र बांधें और भाई की आरती करें. इसके बाद भाई को मिठाई खिलाकर उसकी मंगल कामना करें.
www.aajtak.in
Source link