नई दिल्ली24 मिनट पहले
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मार्केट-कैप के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियों में से 7 को पिछले हफ्ते कुल ₹62,279.74 करोड़ का नुकसान हुआ। इनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) सबसे बड़ी लूजर रही, जिसका मार्केट कैप ₹38,495.79 करोड़ गिरकर ₹16,32,577.99 रह गया। हालांकि, टोटल मार्केट कैप के हिसाब से RIL आज भी सबसे बड़ी कंपनी बनी हुई है।
इसके अलावा, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), ICICI बैंक, हिन्दुस्तान यूनिलीवर, ITC, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) और भारती एयरटेल मार्केट में सबसे ज्यादा नुकसान में रहने वाली कंपनियां रहीं।
वहीं HDFC बैंक, इंफोसिस और बजाज फाइनेंस बीते हफ्ते मार्केट में टॉप गेनर रहे। अगस्त के दूसरे सप्ताह में HDFC बैंक नुकसान में रहने वाली सबसे बड़ी कंपनी रही, जिसके मार्केट कैप में ₹25,011 करोड़ की गिरावट देखने को मिली थी। पिछले सप्ताह बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में 500 अंकों की बढ़त देखी गई।
1. कंपनियां जिनके मार्केट कैप बढ़े
कंपनियां | मार्केट कैप (₹ लाख करोड़ में) | बढ़ोतरी (₹ करोड़ में) |
HDFC बैंक | 11.93 | 10,917 |
इंफोसिस | 5.99 | 9,338 |
बजाज फाइनेंस | 4.43 | 6,562 |
(डाटा- 01 सितंबर 23 के अनुसार) (सोर्स- BSE)
2. कंपनियां जो नुकसान में रहीं
कंपनियां | मार्केट कैप (₹ लाख करोड़ में) | गिरावट/नुकसान (₹ करोड़ में) |
रिलायंस इंडस्ट्रीज | 16.33 | 38,495 |
हिंदुस्तान यूनिलीवर | 5.89 | 14,649 |
भारती एयरटेल | 4.84 | 4,194 |
ITC | 5.50 | 3,037 |
ICICI बैंक | 6.78 | 898 |
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) | 12.36 | 512 |
(डाटा- 01 सितंबर के अनुसार) (सोर्स BSE)
3. मार्केट कैप के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियां
कंपनी | मार्केट कैप (₹ लाख करोड़ में) |
रिलायंस इंडस्ट्रीज | 16.33 |
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) | 12.36 |
HDFC बैंक | 11.93 |
ICICI बैंक | 6.78 |
इंफोसिस | 5.99 |
हिंदुस्तान यूनिलीवर | 5.89 |
ITC | 5.50 |
SBI | 5.08 |
भारती एयरटेल लिमिटेड | 4.84 |
बजाज फाइनेंस लिमिटेड | 4.43 |
(डाटा- 01 सितंबर 23 के अनुसार) (सोर्स- BSE)
मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के कुल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहार उसके सभी शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके किया जाता है। मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।
मार्केट कैप = आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या x शेयरों की कीमत
मार्केट कैप कैसे काम आता है?
किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स से लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है। कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।
मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?
मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी के जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।
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