मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले में फसलों पर सूखे की मार पड़ी है. इसके साथ ही कीटों ने भी कहर बरपाया है. जिसके चलते फसलों को 30 से 40% नुकसान की संभावना जताई गई है. कृषि एवं मौसम एक्सपर्ट के मुताबिक कोई सिस्टम एक्टिवेट नहीं होने से आगामी दिनों में तेज बारिश के आसार नहीं हैं. हल्की बूंदाबांदी हो सकती है. बारिश नहीं होने से नुकसान का आंकड़ा आगे और भी बढ़ सकता है. वहीं, फसलों को बचाने किसानों को सिंचाई करने के साथ दवा के छिड़काव की एडवाइजरी जारी की गई है.
जिले भर में किसानों की फसलों पर सूखे की मार पड़ी है. बीते कुछ दिनों से तेज बारिश नहीं होने से फसलें सूख जाने के साथ ही कीटों ने भी फसलों पर जमकर हमला बोला है. जिसके चलते फसल में 30 से 40 प्रतिशत के नुकसान की आशंका जताई है.
कृषि मौसम विस्तार अधिकारी डॉ. एसएस तोमर के मुताबिक, आगामी तीन चार दिनों में तेज बारिश की कोई संभावना नहीं है. कोई सिस्टम एक्टिवेट नहीं होने से तेज बारिश का दौर रुका हुआ है. हालांकि, हल्की बारिश बूंदाबांदी हो सकती है. बादल भी छाएंगे, बारिश नहीं होने से फसलों पर बड़ा असर पड़ा है. जिसके चलते करीब 30 से 40 प्रतिशत का नुकसान की आशंका है. फसलों को बचाने किसानों को सिंचाई करने के साथ दवा के छिड़काव करें.
3.16 हेक्टेयर में हुई सोयाबीन की बोवनी
बताया गया है कि खरीफ फसल में कृषि विभाग ने सोयाबीन का जिले में 2.95 लाख हेक्टेयर में बोवनी का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन किसानों ने लक्ष्य से अधिक 3.16 हेक्टेयर में सोयाबीन की बोवनी की. फसल भी रिकॉर्ड उत्पादन के लिए खेत में लहलहाने लगी थी, लेकिन अचानक बारिश का दौर थमने से फसल पर सूखे की चपेट में आ गई है और खड़ी फसल सूखने लगी है. इसके साथ ही फसल पर कीट का प्रकोप भी पड़ा है जिसके चलते फसलों को 30 से 40 प्रतिशत का नुकसान हुआ है और उत्पादन पर भी इसका बड़ा असर पड़ेगा.
फसलों को बचाने दवा का करें छिड़काव: कृषि मौसम अधिकारी
मामले को लेकर जानकारी देते हुए कृषि मौसम विस्तार अधिकारी डॉक्टर एसएस तोमर ने Aajtak को बताया कि 7 सितंबर तक कोई तेज बारिश के आसार नहीं हैं. हल्की बारिश हो सकती है. मध्यम से हल्के घने बादल की स्थिति रहेगी. अगर ऐसा ही रहता है तो सफेद मक्खी और इल्लियों का प्रकोप बढ़ जाता है.
डॉक्टर एसएस तोमर ने किसानों को सलाह दी है कि फसल में एंटीकेएस का छिड़काव करें. अभी तक 30 से 40 प्रतिशत फसल में नुकसान के साथ ही उत्पादन कम हो जाएगा. दवा का छिड़काव करें. सुबह शाम सिंचाई करें.
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