प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दुनिया का जीडीपी-केंद्रित दृष्टिकोण, अब मानव-केंद्रित दृष्टिकोण में तब्दील हो रहा है. उन्होंने कहा, ‘मुझे यकीन है कि 2047 तक हमारा देश विकसित देशों में होगा.’ पीएम मोदी ने कहा कि लम्बे समय तक भारत को एक अरब से ज्यादा भूखे लोगों का देश समझा जाता था. लेकिन अब भारत को एक अरब से ज्यादा आकांक्षी मस्तिष्क, दो अरब से ज्यादा कौशल युक्त हाथ और करोडों युवा लोगों का देश समझा जाता है.
बताया ‘सी’ और ‘डी’ का अर्थ
अगले दो दशकों के लिए देश के लिए अपने दृष्टिकोण को रेखांकित करते पीएम मोदी ने कहा कि 2047 तक भ्रष्टाचार (Corruption), जातिवाद (Casteism) और सांप्रदायिकता (Communalism) (3 C) की हमारे राष्ट्रीय जीवन में कोई जगह नहीं बचेगी और गरीबी के खिलाफ अपनी लड़ाई को हम जीतेंगे. पीएम मोदी ने पीटीआई को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा, “हमारे पास लोकतंत्र (Democracy), जनसांख्यिकी (Demography) और विविधता (Diversity )है और अब इसमें चौथा डी भी जुड़ रहा है – विकास (Development).”
2047 तक विकसित राष्ट्र बनेगा भारत
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 से पहले, देश ने कई सरकारें देखीं जो अस्थिर थीं और इसलिए,बहुत कुछ करने में असमर्थ थीं. प्रधानमंत्री के रूप में तीसरा कार्यकाल चाह रहे मोदी ने कहा, ‘लेकिन पिछले कुछ वर्षों में लोगों ने निर्णायक जनादेश दिया है, जिससे स्थिर सरकार, पूर्वानुमानित नीतियां और समग्र दिशा में स्पष्टता आई है.’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मुझे यकीन है कि 2047 तक हमारा देश विकसित देशों में होगा. हमारी अर्थव्यवस्था और भी अधिक समावेशी और नवीन होगी. हमारे गरीब लोग व्यापक रूप से गरीबी के खिलाफ लड़ाई जीतेंगे. स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक क्षेत्र के नतीजे दुनिया में सबसे अच्छे होंगे. भ्रष्टाचार, जातिवाद और सांप्रदायिकता (3 सी) का हमारे राष्ट्रीय जीवन में कोई स्थान नहीं होगा.’ उन्होंने जोर देकर कहा कि भारतीयों के जीवन की गुणवत्ता दुनिया के सर्वश्रेष्ठ देशों के बराबर होगी और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम प्रकृति और संस्कृति दोनों की देखभाल करते हुए यह सब हासिल करेंगे.
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फ्रीबीज को लेकर कही बड़ी बात
उन्होंने यह भी कहा कि भारत द्वारा की गई तीव्र और निरंतर प्रगति ने दुनिया भर में रुचि पैदा की है. पीएम मोदी ने कहा, ‘कई देश हमारी विकास गाथा को बहुत करीब से देख रहे हैं और वे आश्वस्त हैं कि यह प्रगति कोई एक्सीडेंट्ल नहीं है, बल्कि ‘सुधार, प्रदर्शन, परिवर्तन’ के स्पष्ट, कार्य-उन्मुख रोडमैप के परिणाम है.’ प्रधानमंत्री ने गैर-जिम्मेदार वित्तीय नीतियों और लोक-लुभावनवाद के मुद्दों पर भी बात की और बताया कि वे अल्पावधि में राजनीतिक परिणाम तो दे सकते हैं लेकिन भविष्य में उन्हें बड़ी सामाजिक और आर्थिक कीमत चुकानी पड़ेगी.
उन्होंने कहा, विश्व इतिहास में लंबे समय तक, भारत दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में से एक था, लेकिन बाद में, विभिन्न प्रकार के उपनिवेशवाद के प्रभाव के कारण, हमारी वैश्विक उपस्थिति कम होते चले गई. उन्होंने कहा, ‘लेकिन अब, भारत फिर से आगे बढ़ रहा है. जिस गति से हमने एक दशक से भी कम समय में 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था तक पांच पायदान की छलांग लगाई है, उसने इस तथ्य को साबित किया है कि भारत का मतलब व्यवसाय है.”
2047 तक का समय अवसरों वाला
इस बात पर जोर देते हुए कि 2047 तक का समय एक “बहुत बड़ा अवसर” है, उन्होंने कहा कि जो भारतीय इस दौर में रह रहे हैं उनके पास विकास की नींव रखने का एक बड़ा मौका है जिसे अगले 1,000 वर्षों तक याद रखा जाएगा. देश भी इसे समझ रहा है. यही कारण है कि आप कई क्षेत्रों अभूतपूर्व वृद्धि देख रहे हैं. हमारे पास यूनिकॉर्न की एक सेंचुरी है और हम तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप केंद्र हैं. उन्होंने कहा, ‘हमारे अंतरिक्ष क्षेत्र की उपलब्धियों का जश्न दुनिया भर में मनाया जा रहा है. लगभग हर वैश्विक खेल आयोजन में भारत पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ रहा है.’
जी20 की बताई अहमियत
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की जी20 अध्यक्षता ने तथाकथित तीसरी दुनिया के देशों में भी विश्वास के बीज बोए. उन्होंने कहा, ‘भारत की जी20 प्रेसीडेंसी की थीम ‘वसुधैव कुटुंबकम’ सिर्फ नारा नहीं बल्कि हमारे सांस्कृतिक लोकाचार से प्राप्त व्यापक दर्शन है. निकट भविष्य में भारत विश्व की शीर्ष 3 अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होगा. उन्होंने कहा कि एक दशक से भी कम समय में भारत ने रिकॉर्ड छलांग लगाते हुए पांचवा स्थान हासिल किया था.’
जी 20 का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि G20 में अफ्रीका हमारे लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है और सभी की आवाजें सुने बिना दुनिया की कोई भी भविष्य की योजना सफल नहीं हो सकती. उन्होंने कहा, ‘दुनिया के सामने मंहगाई की प्रमुख समस्या, हमारी G20 अध्यक्षता ने यह मान्यता दी कि एक देश में मुद्रास्फीति विरोधी नीतियां दूसरों को नुकसान नहीं पहुंचाती हैं.कभी एक बड़े बाजार के रूप में देखा जाने वाला भारत अब वैश्विक चुनौतियों के समाधान का हिस्सा है.सभी क्षेत्रों में लिए गए G20 मंत्रिस्तरीय निर्णय दुनिया के भविष्य के लिए “महत्वपूर्ण” साबित होंगे.’
यूएन में सुधार की वकालत
बदलती वास्तविकताओं के अनुरूप संयुक्त राष्ट्र में सुधार का आह्वान करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि 20वीं सदी के मध्य का दृष्टिकोण 21वीं सदी में दुनिया की सेवा नहीं कर सकता.प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आज की दुनिया एक बहुध्रुवीय दुनिया है जहां नियम-आधारित व्यवस्था के लिए संस्थाएं बेहद महत्वपूर्ण हैं जो निष्पक्ष और सभी चिंताओं के प्रति संवेदनशील हैं. हालांकि, संस्थाएं तभी प्रासंगिक रह सकती हैं जब वे समय के साथ बदलते हैं.’
उन्होंने कहा, ’20वीं सदी के मध्य का दृष्टिकोण 21वीं सदी में दुनिया की सेवा नहीं कर सकता है. इसलिए, हमारे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों को बदलती वास्तविकताओं को पहचानने, अपने निर्णय लेने वाले मंचों का विस्तार करने, अपनी प्राथमिकताओं पर फिर से विचार करने और उन आवाजों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की जरूरत है जो मायने रखती हैं.’
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