सॉफ्टबैंक (SoftBank) की फंडिंग वाली फूड डिलीवरी कंपनी स्विगी (Swiggy) शेयर मार्केट (Share Market) में लिस्टिंग की तैयारी जुटी है. कंपनी ने स्टॉक मार्केट में एंट्री के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है. स्विगी ने कमजोर बाजार के कारण महीनों तक इस प्रक्रिया को रोक रखा था. अब उसने वैल्यूएशन का आंकलन करने के लिए बैंकरों के साथ बातचीत शुरू कर दी है. रेस्टोरेंट से फूड डिलीवरी के अलावा ग्रॉसरी प्रोडक्ट्स घर-घर तक पहुंचाने वाली स्विगी का वैल्यूएशन 2022 में आखिरी फंड रेजिंग के दौरान 10.7 अरब डॉलर था.
स्विगी ने रोक दिया था IPO का प्लान
रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से बताया कि पिछले साल भारतीय स्टार्टअप्स के लिए फंडिंग के मोर्चे पर विंटर जैसी स्थिति देखने को मिली थी. फंडिंग की कमी और वैल्यूएशन को लेकर निवेशकों की बढ़ती चिंताओं के बीच स्विगी ने अपनी आईपीओ योजना को रोक दिया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि जैसे ही वैश्विक और भारतीय बाजारों में तेजी आई है, स्विगी ने सितंबर की शुरुआत में आईपीओ पर काम करने के लिए आठ निवेश बैंकों को आमंत्रित करके अपनी आईपीओ योजना को फिर से गति दी है. इसमें मॉर्गन स्टेनली, जेपी मॉर्गन और बैंक ऑफ अमेरिका शामिल हैं.
फंडिंग के लिए वैल्यूएशन
आईपीओ के लिए प्लानिंग के प्रोसेस में सीधे शामिल रॉयटर्स के एक सूत्र ने कहा कि स्विगी आईपीओ योजना के लिए बेंचमार्क के रूप में 10.7 बिलियन डॉलर के अंतिम फंडिंग राउंड के वैल्यूएशन का इस्तेमाल कर रही है. हालांकि, कंपनी ने अभी तक संभावित हिस्सेदारी बिक्री या अंतिम वैल्यूएशन पर फैसला नहीं किया है. स्विगी में एक छोटे शेयरधारक इनवेस्को ने मई में कंपनी का मूल्य लगभग 5.5 बिलियन डॉलर आंका था.
भारतीय मार्केट में लौट रहा निवेशकों का भरोसा
स्विगी ने शुरुआत में आईपीओ के जरिए 800 मिलियन डॉलर से एक बिलियन डॉलर जुटाने पर विचार किया था. 2022 की शुरुआत में इस पर काम करने वाले बैंकिंग सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया. तीन सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया कि स्विगी का लक्ष्य जुलाई-सितंबर 2024 के बीच लिस्टिंग की है. स्विगी के प्रतिद्वंद्वी जोमैटो के शेयरों में इस साल अब तक 54.8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. यह एक संकेत है कि निवेशकों का विश्वास भारत के वित्तीय बाजारों में लौट रहा है.
Zepto बनी यूनिकॉर्न
शुक्रवार को, भारतीय ग्रॉसरी स्टार्टअप Zepto ने कहा कि उसने 1.4 बिलियन डॉलर की वैल्यूएशन पर ताजा फंडिंग में 200 मिलियन डॉलर जुटाए हैं, जिससे यह लगभग एक साल में बिलियन-डॉलर के मूल्यांकन को पार करने वाला पहला भारतीय स्टार्टअप बन गया है. स्विगी ने मई में कहा था कि ऑपरेशन शुरू करने के नौ साल बाद उसका प्रमुख फूड डिलीवरी बिजनेस मुनाफा में आ गया है. लेकिन ग्रॉसरी डिलीवरी सर्विस इंस्टामार्ट लगातार घाटे में चल रहा है.
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