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बेंगलुरु2 घंटे पहले
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 26 मार्च को ब्रिटेन के 36 सैटेलाइट एकसाथ लॉन्च किए थे।
चंद्रयान-3 की सफलता से स्पेस वेंचर में इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा मिलने की उम्मीद तेजी से बढ़ी है। बीते हफ्ते इसरो के सप्लायर्स और उनसे जुड़ी कंपनियों के शेयर्स की कीमतों में भी तेजी देखी गई।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक लार्सन एंड टूब्रो (L&T) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (HAL) समेत 20 कंपनियां स्मॉल सैटेलाइट लॉन्चिंग व्हीकल के प्राइवेटाइजेशन के लिए होने वाली नीलामी में बोली लगा सकती हैं।
इस बीच, इसरो चीफ एस सोमनाथ का भी एक बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि भारत के पास चंद्रमा, मंगल और शुक्र की यात्रा करने की क्षमता है लेकिन हमें और ज्यादा इन्वेस्टमेंट की जरूरत है।
पढ़िए, इसरो चीफ ने और क्या कहा…
एस सोमनाथ बोले- “भारत के पास चंद्रमा, मंगल और शुक्र ग्रह की यात्रा करने की क्षमता है लेकिन हमें अपना आत्मविश्वास बढ़ाने के साथ और ज्यादा इन्वेस्टमेंट्स की जरूरत है। हमारे स्पेस सेक्टर में डेवलपमेंट होना चाहिए। इससे साथ ही पूरे देश का विकास होना चाहिए, यही हमारा मिशन है। हम उस विजन को पूरा करने के लिए तैयार हैं जो पीएम मोदी ने हमें दिया था।”
एस सोमनाथ बोले- विज्ञान से बाहरी और मंदिरों में अंदर की चीजों को खोजता हूं
इसरो चीफ ने रविवार को तिरुवनंतपुरम के पौर्णमिकवु-भद्रकाली मंदिर में पूजा-अर्चना की।
चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के चार दिन बाद इसरो चीफ एस सोमनाथ रविवार को केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित पौर्णमिकवु-भद्रकाली मंदिर पहुंचे। यहां उन्होंने माता काली की पूजा-अर्चना की और उनका आशीर्वाद लिया। इस मंदिर में बाला भद्र देवी के रूप में हिन्दू धर्म की देवी काली की पूजा-अर्जना होती है। यहां देवी अपने पांच अलग-अलग रूपों में स्थापित हैं, जिनमें बाला भद्र, वीरा भद्र, रौद्र भद्र, क्रोध भद्र और संहार भद्र शामिल है।
साइंटिस्ट होने के बावजूद पूजा-पाठ करने के सवाल पर इसरो चीफ ने कहा- मैं एक एक्सप्लोरर हूं। मैं चंद्रमा को एक्सप्लोर करता हूं। साइंस और स्पिरिचुअलिटी दोनों की खोज करना मेरे जीवन की यात्रा का एक हिस्सा है। मैं कई मंदिरों में जाता हूं और कई धर्मग्रंथ पढ़ता हूं। बाहरी चीजों की खोज के लिए मैं विज्ञान का सहारा लेता हूं और अंदर की चीजों को खंगालने के लिए मंदिरों में आता हूं।
SSLV का मकसद छोटे सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग
फरवरी 2023 में सबसे छोटे रॉकेट SSLV-D2 श्रीहरिकोटा के सतीश धवन लॉन्चिंग सेंटर से हुई थी।
SSLV को डेवलप करने का मकसद छोटे सैटेलाइट लॉन्च करना है। इसके पहले पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) का इस्तेमाल लॉन्चिंग में बहुत ज्यादा किया जाता रहा है। SSLV के चलते अब यह बड़े मिशन के लिए फ्री हो सकेगा। SSLV 10KG से 500KG तक के ऑब्जेक्ट को 500 किलोमीटर दूर प्लैनर ऑर्बिट में ले जा सकता है। इसे ISRO ने डेवलप किया है।
इसरो का यह लॉन्चर कम्युनिकेशन और डेटा के लिए सैटेलाइट क्लस्टर को लॉन्च करने के लिए मार्केट बूम लेकर आया। फिलहाल ग्लोबल मार्केट में इसमें इसरो का कॉम्पीटिशन स्पेसएक्स से है।
जुलाई में शुरू हो चुकी है बिडिंग
भारत की नई स्पेस रेग्युलेटरी बॉडी इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर (IN-SPACe) ने कंपनियों को उनका इंटरेस्ट रजिस्टर करने की परमिशन देकर जुलाई 2023 में SSLV प्रोग्राम पर बिडिंग शुरू की है। यह पूरी तरह से प्राइवेटाइज होने वाला पहला भारतीय रॉकेट होगा, जिसका मतलब है कि बिडिंग जीतने वाला पूरे प्रोग्राम को टेक ओवर कर लेगा।
भारत अगले 10 साल में ग्लोबल सैटेलाइट मार्केट में 5 गुना हिस्सेदारी का लक्ष्य लेकर चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस पॉलिसी ड्राइव के बाद लगभग 20 कंपनियों ने प्राइवेटाइजेशन पर बोली लगाने में इंटरेस्ट दिखाया है।
PSLV बनाने के लिए सरकार से कॉन्ट्रैक्ट कर चुकी हैं HAL और L&T
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स और लार्सन एंड टुब्रो बिजनेस ग्रुप के पास पहले से ही इसरो के रॉकेट बनाने और डिस्ट्रीब्यूशन करने का सरकार के साथ कॉन्ट्रैक्ट है। इसके तहत कंपनियां 5 पोलर सैटेलाइट लॉन्चिंग व्हीकल (PSLV) बनाएंगी। इन PSLV को इसरो का ‘वर्कहॉर्स’ रॉकेट कहा जाता है, जिनकी डिलीवरी अगले 2 साल में शुरू होने की उम्मीद है।
इसरो जल्द लॉन्च करने वाला है सोलर मिशन
इसरो अब सूर्य के अध्ययन के लिए 2 सितंबर को सौर मिशन शुरू करने की तैयारी कर रहा है। आदित्य L1 सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली स्पेस बेस्ड इंडियन लेबोरेट्री होगी। इसे सूर्य के चारों ओर बनने वाले कोरोना के रिमोट ऑब्जर्वेशन के लिए डिजाइन किया गया है। आदित्य L1 के बाद वह अक्टूबर में गगनयान की लॉन्चिंग करेगा।
पूरी तरह स्वदेशी है आदित्य L1
आदित्य L1 देश की संस्थाओं की भागीदारी से बनने वाला पूरी तरह स्वदेशी प्रयास है। बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA) विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ ने इसके पेलोड बनाए हैं। जबकि इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स पुणे ने मिशन के लिए सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजर पेलोड विकसित किया है। पढ़ें पूरी खबर…
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