Labour Day 2023: किसी राष्ट्र के विकास और समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले श्रमिकों और कामगारों को सम्मान देने के लिए हर साल मजदूर दिवस (Labour Day) मनाया जाता है. यह दिन अमेरिकी मजदूरों की सामाजिक और आर्थिक उपलब्धियों के एक वार्षिक उत्सव के तौर पर हर साल सितंबर के पहले सोमवार को सेलिब्रेट किया जाता है. इस साल यह आज 4 सितंबर को मनाया जा रहा है. हालांकि भारत समेत कई अन्य देशों में मजदूर दिवस मई में मनाया जाता है.
अमेरिका में मजदूर दिवस का इतिहास?
संयुक्त राज्य अमेरिका में मजदूर दिवस का इतिहास 5 सितंबर 1882 से मिलता है, जब पहली बार मजदूर दिवस न्यूयॉर्क में सेंट्रल लेबर यूनियन द्वारा मनाया गया था. बाद में, राष्ट्रपति ग्रोवर क्लीवलैंड ने 28 जून 1894 को सितंबर के पहले सोमवार को राष्ट्रीय अवकाश और मजदूर दिवस के रूप में घोषित किया. 1894 तक, अमेरिका के लगभग 23 राज्यों ने मजदूर दिवस की छुट्टी को अपना लिया था.
कब और कैसे घोषित हुआ अवकाश?
संयुक्त अवकाश होने से पहले, मजदूर दिवस को श्रमिक कार्यकर्ताओं और व्यक्तिगत राज्यों द्वारा मान्यता दी जाती थी. 1885 और 1886 में नगरपालिका अध्यादेश पारित होने के बाद, राज्य कानून को सुरक्षित करने के लिए एक आंदोलन शुरू हुआ. न्यूयॉर्क बिल पेश करने वाला पहला राज्य था, लेकिन ओरेगन 21 फरवरी, 1887 को मजदूर दिवस को मान्यता देने वाला कानून पारित करने वाला पहला राज्य था. 1887 के दौरान, चार और राज्यों – कोलोराडो, मैसाचुसेट्स, न्यू जर्सी और न्यूयॉर्क ने मजदूर दिवस की छुट्टी घोषित की थी. दशक के अंत तक यानी 1894 तक कनेक्टिकट, नेब्रास्का और पेंसिल्वेनिया में भी मजदूर दिवस पर छुट्टी घोषित की गई. 23 और राज्यों ने छुट्टी को अपना लिया था, और 28 जून, 1894 को, कांग्रेस ने प्रत्येक वर्ष सितंबर के पहले सोमवार को कानूनी अवकाश बनाने के लिए एक अधिनियम पारित किया. तत्कालीन यूएस राष्ट्रपति ग्रोवर क्लीवलैंड ने 1894 में मजदूर दिवस को नेशनल हॉलीडे घोषित किया था.
मजदूर दिवस का महत्व
संयुक्त राज्य अमेरिका में 19वीं शताब्दी में हुए श्रमिक संघ आंदोलन की याद में हर साल मजदूर दिवस मनाया जाता है. इस आंदोलन के दौरान श्रमिक कार्यकर्ताओं ने उचित वेतन, उचित काम के घंटे, कार्यस्थल समानता, कार्यस्थल सुरक्षा आदि सहित श्रमिकों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी थी. लोगों को श्रम कानूनों, नियमों और विनियमों के बारे में जागरूक किया.
इस दिन का मकसद लोगों को बाल श्रम के नुकसान, कार्यस्थल असमानता, कम वेतन और समाज में श्रमिकों के अन्य मुद्दों के बारे में शिक्षित करना है. सामाजिक और आर्थिक दोनों स्तरों पर श्रमिकों की उपलब्धियों का जश्न मनाना. इसके अलावा अपने वर्क प्लेस पर मजदूरों के साथ होने वाले भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाना है.
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