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नई दिल्ली5 घंटे पहले
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देश में इस साल पिछले आठ वर्षों की सबसे कम मानसूनी बारिश के चलते देश के 146 प्रमुख जलाशयों का स्तर 10 साल के औसत से भी नीचे गिर गया है। इससे रबी की फसलों पर बुरा असर पड़ने की आशंका है क्योंकि इनकी सिंचाई पर निर्भरता सबसे अधिक है। वहीं खरीफ फसल की बुआई अगस्त में खत्म हो जाएगी जिसमें सुधार की गुंजाइश बेहद कम है।
रेटिंग एजेंसी केयर एज के मुताबिक कम बारिश की वजह से चीनी, दालें, तेल, चावल और सब्जियां महंगी हो सकती हैं। जुलाई में महंगाई दर 15 महीने के उच्च स्तर 7.44 फीसदी पर जा पहुंची, वहीं ओवर-ऑल फूड महंगाई दर 11.51% रही। वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि सरकार महंगाई को नियंत्रण में करना सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है।
अक्टूबर के बाद घट सकती है फूड प्रोडक्ट की महंगाई
केयर एज की रिपोर्ट के मुताबिक, फूड एंड बेवरेजेस की महंगाई जुलाई-सितंबर तिमाही में सबसे अधिक औसतन 9.4% तक पहुंच जाएगी। अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में इसके घटकर 6.9% पर आने का अनुमान है। जनवरी-मार्च 2024 में इसके और भी गिरावट के साथ 5.9% पर रह जाने का अनुमान है।
ग्रामीण मांग पर हो सकता है बढ़ती कीमतों का असर
कुछ समय से सुधर रही ग्रामीण मांग अब महंगाई संबंधी चिंताओं के फिर से उभरने से कमजोर होने की आशंका है। हमें उम्मीद है कि अक्टूबर तिमाही में खाद्य महंगाई सहित समग्र महंगाई में कमी आएगी और ग्रामीण मांग में सुधार होगा। – रजनी सिन्हा, चीफ इकोनॉमिस्ट, केयरएज
बढ़ती कीमतें सिर्फ भारत के लिए ही समस्या नहीं हैं
अर्थशास्त्री चिंतित हैं कि भारत की बढ़ती फूड महंगाई ग्लोबल स्तर पर फूड प्रोडक्ट की महंगाई बढ़ा सकती है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है। अगर चावल का उत्पादन घटता है, तो गेहूं की कीमतें भीं बढ़ सकती हैं, जिसका उपयोग कुछ मामलों में चावल के विकल्प के रूप में किया जाता है।
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