नई दिल्ली36 मिनट पहले
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आज 29 अगस्त है, यानी कि हॉकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद का जन्मदिन। भारत में इसे नेशनल स्पोर्ड्स-डे के रूप में मनाया जाता है।
इस मौके पर हम आपको भारतीय खेल जगत की ऐसी 10 शख्सियत से रूबरू कराने जा रहे हैं, जो अपने लाजवाब खेल और अचीवमेंट के दम पर अपने खेल का चेहरा बन गए। आगे सभी लीजेंड्स की जानकारी और ग्राफिक्स में देखिए अचीवमेंट…
1. हॉकी : मेजर ध्यानचंद
भारतीय हॉकी का परचम पूरी दुनिया भर में लहराया। मेजर ध्यानचंद भारतीय हॉकी का चेहरा बने और इसे अपने दौर के शिखर तक पहुंचाया। भारतीय टीम ने पहली बार 1928 ओलिंपिक में हिस्सा लिया था और गोल्ड भी जीता। तब भारत ने इतिहास का पहला ओलिंपिक गोल्ड जीता था। इस टूर्नामेंट के 5 मैचों में ध्यानचंद ने 14 गोल दागे थे, वे टूर्नामेंट के टॉप स्कोरर भी रहे।
1928 के एम्स्टर्डम ओलिंपिक से भारतीय टीम के गोल्ड जीतने का सफर शुरू हुआ, जो 32 साल बाद 1960 में टूटा। तब भारतीय टीम को रोम ओलिंपिक में सिल्वर से संतोष करना पड़ा। ध्यानचंद कई साल तक भारतीय टीम के कप्तान और कोच रहे।
2. एथलेटिक्स (ट्रैक) : मिल्खा सिंह
आजादी के बाद भारत के पहले स्पोर्ट्स स्टार थे। ट्रैक पर अपने कारनामों से कई पीढ़ियों को प्रेरित किया। कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत के पहले गोल्ड मेडलिस्ट हैं। 1960 में पाकिस्तानी जनरल अयूब खान ने उन्हें लाहौर में ‘फ्लाइंग सिख’ नाम दिया था।
3. एथलेटिक्स (फील्ड) : नीरज चोपड़ा
नीरज चोपड़ा, एथलेटिक्स के फलक में भारत का चमकता सितारा है। नीरज ने ओलिंपिक में एथलेटिक्स का पहला मेडल दिलाया था, वो भी गोल्ड। दो दिन पहले नीरज ने वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी गोल्ड जीत लिया है। इस साल उन्होंने डायमंड लीग में भी गोल्ड जीता था यानी कि वे एथलेटिक्स के तीनों मेजर टूर्नामेंट में गोल्ड जीतने वाले भारत के इकलौते एथलीट हैं।
4. चेस : विश्वनाथन आनंद
चेस की ईलो रेटिंग (2800+) हासिल करने वाले दुनिया के चौथे और इंडिया के पहले खिलाड़ी हैं। आनंद ने अब तक आधा दर्जन वर्ल्ड टाइटल जीते हैं। उन्हें 6 दफा चेस ऑस्कर अवॉर्ड से नवाजा गया है।
आनंद ने लाखों युवाओं को चेस खेलने के लिए प्रेरित किया है। उन्हें देखकर प्रगनानंदा जैसे कई स्टार सामने आ रहे हैं।
5. शूटिंग : अभिनव बिंद्रा
2008 में बीजिंग ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर सुपर स्टार बन गए। उन्होंने देश के निशानेबाजों को ही नहीं, बल्कि अन्य खेलों के खिलाड़ियों को भी प्रेरित किया। अभिनव देश को पहला इंडिविजुअल ओलिंपिक गोल्ड दिलाने वाले निशानेबाज हैं। उनके नाम शूटिंग का इकलौता गोल्ड है।
6. वेटलिफ्टिंग : कर्णम मल्लेश्वरी
कर्णम मल्लेश्वरी देश को ओलिंपिक मेडल दिलाने वाली पहली महिला हैं। उन्होंने 2000 के सिडनी ओलिंपिक में भारत को ब्रॉन्ज मेडल दिलाया। कर्णम के मेडल ने कई और महिलाओं को सपने देखना सिखाया। उनके बाद सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल, पीवी सिंधु, साक्षी मलिक और मीराबाई चानू जैसी फीमेल स्टार्स ने बाकी खेलों में भारत का नाम रोशन किया।
7. बॉक्सिंग : मैरी कॉम
एक और महिला खिलाड़ी, जो अपनी अचीवमेंट से देश की लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी। मैरी कॉम ने 2012 के लंदन ओलिंपिक में देश को ब्रॉन्ज मेडल दिलाया था। वे बॉक्सिंग का चेहरा भी बनीं। उन्हें देखकर लाखों युवाओं ने खेलों में करियर बनाना चाहा।
8. टेनिस : लिएंडर पेस
ओलिंपिक मेडल जीतने वाले इकलौते टेनिस स्टार हैं। लिएंडर ने 1996 ओलिंपिक गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। अटलांटा ओलिंपिक में भारत को एक मेडल ही मिला था। ओलिंपिक ब्रॉन्ज के साथ पेस ने भारत को करीब डेढ़ दर्जन ग्रैंड स्लैम टाइटल दिलाए हैं। पेस की विरासत को सानिया मिर्जा ने आगे बढ़ाया।
9. बैडमिंटन : प्रकाश पादुकोण
वर्ल्ड नंबर-1 रैंक हासिल करने वाले भारत के पहले बैडमिंटन स्टार हैं। 80 के दशक में भारत को ऑल इंग्लैंड ओपन जिता दिया था। वे ऐसा करने वाले पहले भारतीय बने। यह वह दौर था जब भारत में हॉकी ही खेला जाता था। ऐसे में पादुकोण बैडमिंटन का चेहरा बन गए।
10. बिलियर्ड्स एंड स्नूकर : पंकज आडवाणी
बिलियर्ड्स एंड स्नूकर में भारत के ग्रेटेस्ट खिलाड़ी हैं। पंकज अपने खेल में 25 दफा वर्ल्ड टाइटल जीत चुके हैं। वे एक ऐसे गेम से हैं, जो इंडिया में बहुत कम खेला जाता है, लेकिन उनके अचीवमेंट उन्हें स्पोर्ट्स स्टार्स के शिखर तक पहुंचाते हैं।
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