पिछले 20 साल में देश की सत्ता पर यूनाइटेड प्रोग्रेसिव एलायंस (UPA) और नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस (NDA) की काबिज रही हैं. मौजूदा समय में NDA की सरकार है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह गठबंधन लगातार दूसरी बार सत्ता में है. पिछले 20 साल में दोनों ही सरकारों ने अपने कार्यकाल के दौरान कैपिटल एक्सपेंडिचर के बजट में इजाफा किया और विकास के कई काम किए.
साल 2004 से लेकर 2014 तक यानी पहले 10 साल में डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाला यूपीए सरकार FY04 से FY14 तक सत्ता में थी. मई 2014 (FY15) से FY24 तक नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाला एनडीए भारत सरकार का प्रशासन संभाल रहा है. अगले साल देश में आम चुनाव होने हैं. इससे पहले आइए देख लेते हैं कि इन दोनों सरकारों ने अपने कार्यकाल में टैक्सपेयर्स का पैसा कैसे खर्च किया…
कैपिटल एक्सपेंडिचर का बजट
20 साल पहले के मुकाबले सरकार के कैपिटल एक्सपेंडिचर के बजट का आकार वित्त वर्ष 2023-24 (FY24) में 8 गुना या 856 फीसदी से अधिक बढ़कर 45.03 लाख करोड़ रुपये हो गया. वित्त वर्ष 2004 में बजट का आकार 4.71 लाख करोड़ रुपये था. सीएमआईई डेटाबेस से उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान वार्षिक बजट का आकार वित्त वर्ष 2014 में 231 फीसदी बढ़कर 15.59 लाख करोड़ रुपये हो गया था, जो वित्त वर्ष 2004 में 4.71 लाख करोड़ रुपये था. वहीं, मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान केंद्रीय बजट FY24 के अनुमान के अनुसार 189 फीसदी बढ़कर 45.03 लाख करोड़ रुपये हो गया है.
कैपिटल एक्सपेंडिचर (Capex)
इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजक्ट्स जैसे- रेलवे, राजमार्ग, पुल, हवाई अड्डे, समुद्री बंदरगाहों का निर्माण और स्कूलों, कॉलेजों, अस्पतालों आदि के निर्माण पर होने खर्च को कैपेक्स माना जाता है.
वित्त वर्ष 2004 में जब यूपीए ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व में सत्ता संभाली थी, तब कुल सरकारी कैपिटल एक्सपेंडिचर 1.09 लाख करोड़ रुपये था. यानी कुल बजट का 23.2 फीसदी सरकार बुनियादी ढांचे के विकास के लिए खर्च कर रही थी. हालांकि, वित्त वर्ष 2014 के कुल बजट में कैपिटल एक्सपेंडिचर की हिस्सेदारी 23.2 प्रतिशत से घटकर 12 फीसदी हो गई थी. इन 10 वर्षों के दौरान मनमोहन सिंह की सरकार ने कैपिटल एक्सपेंडिचर पर कुल 12.4 लाख करोड़ रुपये खर्च किए थे.
मोदी सरकार में कैपिटल एक्सपेंडिचर
नरेंद्र मोदी जब साल 2024 में प्रधानमंत्री बने तो कैपिटल एक्सपेंडिचर पर खर्च वित्त वर्ष 2014 में 1.88 लाख करोड़ रुपये से 433 प्रतिशत बढ़कर 10.01 लाख करोड़ रुपये हो गया. साथ ही कुल बजट में कैपेक्स की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2014 के 12 फीसदी के मुकाबले करीब 10 फीसदी बढ़कर 22.2 फीसदी हो गई. बजट अनुमान के मुताबिक एनडीए सरकार दस साल में कैपिटल एक्सपेंडिचर पर 43.9 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का बजट बनाया है.
सब्सिडी पर यूपीए और एनडीए का प्रदर्शन
सार्वजनिक और व्यावसायिक संस्थाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए सरकार की ओर से पैसे ट्रांसफर किए जाते हैं. इसे सब्सिडी कहा जाता है. केंद्र सरकार जिन वस्तुओं पर सब्सिडी प्रदान करती है उनमें प्रमुख- चीनी, उर्वरक सब्सिडी, ब्याज सब्सिडी और पेट्रोलियम उत्पादों पर सब्सिडी खाद्य सब्सिडी आदि शामिल हैं.
वित्त वर्ष 2004 में सब्सिडी पर कुल खर्च 44.3 हजार करोड़ रुपये या कुल बजट का 9.4 फीसदी था. यूपीए सरकार के तहत वार्षिक सब्सिडी वित्त वर्ष 2014 में 474 फीसदी बढ़कर 2.55 लाख करोड़ रुपये हो गई थी. यानी कुल बजट में सब्सिडी की हिस्सेदारी बढ़कर 16.3 प्रतिशत पर पहुंच गई थी. यूपीए शासन के 10 वर्षों के दौरान मनमोहन सिंह की सरकार ने सब्सिडी पर कुल 13.96 लाख करोड़ रुपये खर्च किए थे.
मोदी सरकार के दौरान वित्त वर्ष 2014 में सब्सिडी पर खर्च 58 फीसदी बढ़कर 4.03 लाख करोड़ रुपये हो गया. जबकि मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान वित्त वर्ष 2014 में ये 2.55 लाख करोड़ रुपये था. ताजा बजट अनुमान के मुताबिक मोदी सरकार अपने 10 साल में सब्सिडी पर 36.94 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का प्लान बनाया है.
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