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- Our Space Economy Will Increase By 1150% In Next 17 Years: Now It Is Rs 66,400 Crore, World Moving Away From Russia China
2 घंटे पहले
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भारत का चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना असाधारण घटना है। तमाम जोखिमों के बावजूद यहां लैंडिंग ने इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) को वैश्विक अंतरिक्ष दौड़ में उभरता हुआ सितारा बना दिया है। रूस के ताजा मिशन के फेल होने से भी इसरो का अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष बाजार में दबदबा बढ़ गया है।
मल्टीनेशनल मैनेजमेंट कंसल्टेंसी आर्थर डी लिटिल (ADL) की ताजा रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ग्लोबल स्पेश इंडस्ट्री महत्वपूर्ण बदलाव के दौर से गुजर रहा है। सरकार के नेतृत्व वाले कार्यक्रमों से लेकर निजी क्षेत्र इसका नेतृत्व कर रहे हैं। भारत में उभरता हुआ स्पेसटेक स्टार्टअप इस बदलाव का एक उदाहरण है।
ADL की ‘स्पेश में भारत: 2040 तक 100 अरब डॉलर की इंडस्ट्री’ शीर्षक वाली रिपोर्ट के अनुसार, 2040 तक भारत की अंतरिक्ष इकोनॉमी 8 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकती है, जो अभी लगभग 66,400 करोड़ रुपए है, यानी 17 साल में 1150% का जबर्दस्त उछाल आने की उम्मीद है।
रूस-चीन से दूर हो रही दुनिया, इसका हमें फायदा…
रूस और चीन लंबे समय से लॉन्च के लिए कम लागत वाले विकल्प उपलब्ध करा रहे हैं, लेकिन यूक्रेन युद्ध ने रूस की भूमिका खत्म कर दी है। बीते साल सितंबर में रूस ने ब्रिटिश सैटेलाइट स्टार्टअप वनवेब के 36 अंतरिक्ष यान जब्त कर लिए। इससे उसे 230 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ। इसके बाद वनवेब ने अपने उपग्रह भेजने के लिए इसरो का रुख किया।
ऐसे ही, अमेरिकी सरकार द्वारा चीन की तुलना में भारत के जरिए किसी भी यूरोपीय व अमेरिकी कंपनी को सैन्य-ग्रेड तकनीक भेजने के लिए मंजूरी देने की अधिक संभावना होगी। भारत अंतरिक्ष उद्योग के लिए उच्च विकास दर का लक्ष्य रख सकता है।
चंद्रयान की सफलता बनाएगी वर्ल्ड लीडर…
इसरो की उपग्रह भेजने की सफलता दर 95% है। इसने उपग्रह की बीमा लागत आधी कर दी है। इन वजहों से भारत दुनिया में सबसे प्रतिस्पर्धी प्रक्षेपण स्थलों में से एक बन गया है। चंद्रयान की सफलता भारत को इस क्षेत्र में वर्ल्ड लीडर बनाने में मदद करेगी।
रॉयटर्स के मुताबिक, भारत ने हाल में सैटेलाइट लॉन्च रॉकेट बनाने की बोलियां आमंत्रित की थीं। 20 निजी कंपनियों ने इसमें रुचि दिखाई। हमारी नई अंतरिक्ष नीति लार्सन एंड टूब्रो जैसी कंपनियों को लॉन्च वाहन और सैटेलाइट बनाने की अनुमति देगी। इसरो ने छोटे सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल को निजी क्षेत्र में देने की योजना बनाई है।
चंद्रयान-3 के लैंडर चंद्रमा में लैंड करता हुआ, यह इसरो ने वीडियो शेयर किया था।
चार साल में स्पेस स्टार्टअप 5 से बढ़कर 140 हो गए हैं…
भारत में 140 स्पेस स्टॉर्टअप रजिस्टर्ड हैं। यह बढ़ोतरी बीते कुछ सालों में हुई है। कोरोना महामारी की शुरुआत के समय इनकी संख्या 5 के आसपास ही थी। पिछले साल अंतरिक्ष स्टार्टअप ने नए निवेश में करीब 990 करोड़ रुपए जुटाए, जो सालाना दोगुनी या तिगुनी दर है।
भारत के उभरते स्पेस स्टॉर्टअप स्काईरूट के मुख्य कार्यकारी 32 वर्षीय पवन कुमार चंदना का अनुमान है कि इस दशक लॉन्च किए जाने वाले उपग्रहों की संख्या 30 हजार हो सकती है। इसरो के साथ व्यापार करने के लिए बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे आदि में लगभग 400 निजी कंपनियां बनी हैं। ये विशेष स्क्रू, सीलेंट और अन्य उत्पादों की निर्माण सामग्री उपलब्ध करा रही हैं।
7 साल में अंतरिक्ष क्षेत्र को आवंटन 67% बढ़ा…
भारत में स्पेस इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए लगातार आवंटन बढ़ा है। वित्त वर्ष 2016-17 में यह सिर्फ 7,510 करोड़ रुपए था। 2023-24 के बजट में इसे बढ़ाकर 12,543 करोड़ रुपए कर दिया गया। यानी पिछले 7 सालों में बजट 67 प्रतिशत बढ़ा है।
हालांकि यह राशि 2022-23 में आवंटित राशि 13,700 करोड़ रुपए से कम है। आर्थर डी लिटिल की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अंतरिक्ष बाजार का मूल्य वर्तमान में 66,400 करोड़ रुपए है। यह 4 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ रहा है, जो वैश्विक औसत के 2 प्रतिशत से अधिक है।
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