नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मोहम्मद अकबर लोन ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है. दरअसल उन पर 2018 में जम्मू कश्मीर विधानसभा में पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाने का आरोप है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद मोहम्मद अकबर लोन द्वारा दायर किया गया हलफनामा एक तमाशा है. उन्होंने इंडिया टुडे को बताया कि मैंने अदालत को बताया है कि यह हलफनामा जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है, जिससे देश की छवि को नुकसान पहुंचा है. मैंने अदालत से अनुरोध किया है कि वह यह भी देखें कि लोन ने इस हलफनामे में क्या नहीं लिखा है. दरअसल यह हलफनामा एक तमाशा है.
बता दें कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने लोन से हलफनामा दायर कर यह पुष्टि करने को कहा था कि वह बिना किसी शर्त के यह स्वीकार करें कि जम्मू कश्मीर देश का अभिन्न हिस्सा है और वह भारत के संविधान के प्रति वफादार हैं.
मोहम्मद अकबर लोन ने हलफनामे में क्या कहा?
हालांकि, पांच सितंबर को दायर हलफनामे में लोन ने इसका उल्लेख नहीं किया. उन्होंने हलफनामे में कहा कि मैं भारत का एक जिम्मेदार और कर्तव्यनिष्ठ नागरिक हूं. मैंने संविधान के आर्टिकल 32 के तहत कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के अपने अधिकार का इस्तेमाल किया है. मैं भारत के संविधान के प्रावधानों को संरक्षित रखने और देश की अखंडता की रक्षा करने के लिए संसद सदस्य के रूप में ली गई शपथ को दोहराता हूं.
दरअसल केंद्र सरकार ने कहा था कि लोन ने 2002 से 2018 के दौरान विधायक रहते हुए जम्मू कश्मीर विधानसभा में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए थे, जिसके बाद अदालत ने लोन से हलफनामा दायर करने को कहा था.
इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा था कि अगर लोन हलफनामा दायर नहीं करते हैं तो वह उनकी पैरवी नहीं करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी कहा था कि लोन को अदालत में हलफनामा दायर करना चाहिए.
मेहता ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय पीठ को बताया था कि लोन को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करना चाहिए, जिसमें यह बताना चाहिए कि वह भारत के संविधान के प्रति कर्तव्यनिष्ठ हैं और अलगाववादी ताकतों एवं आतंकवाद का विरोध करते हैं.
मालूम हो कि अकबर लोन पर कश्मीरी पीड़ितों के संगठन ‘रूट इन कश्मीर’ ने आरोप लगाया है कि जम्मू कश्मीर विधानसभा में उन्होंने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए थे. लोन अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को कमजोर करने के केंद्र सरकार के कानूनी विधान को चुनौती देने वाले प्रमुख याचिकाकर्ता हैं.
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