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- Restructure Salary To Reduce Tax ; Your Basic Salary Should Not Exceed 40% Of CTC, Tax free Investment Will Also Benefit
नई दिल्लीएक दिन पहले
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सुनयना चड्ढ
जब कोई व्यक्ति किसी कंपनी में नौकरी जॉइन करता है तो कंपनी की ओर से उसका CTC (कॉस्ट टु कंपनी) तय किया जाता है। कर्मचारी अपना सैलरी स्ट्रक्चर इस तरह से बनवा सकते हैं कि टैक्स का बोझ कम हो जाए। जानते हैं कि कैसे…
1. बेसिक सैलरी और अलाउंस: बेसिक सैलरी हमेशा कर योग्य होती है। सलाह है कि यह CTC के 40% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। हालांकि, बेसिक सैलरी कम रखने से वेतन के अन्य घटक कम हो जाएंगे। HRA, LTA, और मेडिकल भत्ते जैसे कुछ अलाउंस कुछ शर्तों के आधार पर टैक्स-फ्री हो सकते हैं।
2. टैक्स-फ्री इन्वेस्टमेंट: EPF, PPF, NSC और ELSS जैसे टैक्स सेविंग इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करने से आयकर की धारा 80सी के तहत पर्याप्त टैक्स की कटौती मिल सकती है।
3. सैलरी रीस्ट्रक्चरिंग: नियोक्ता की अनुमति से ज्यादा टैक्स-फ्री अलाउंस और बेनिफिट्स शामिल करने के लिए सैलरी रीस्ट्रक्चर करवा सकते हैं। उदाहरण के लिए HRA ज्यादा रखवा सकते हैं।
4. फ्लेक्सिबल बेनिफिट: कुछ नियोक्ता कर्मचारियों को उनकी जरूरत के आधार पर टैक्स-फ्री फ्लेक्सिबल बेनिफिट्स ऑफर कर सकते हैं। इसमें मेडिकल इंश्योरेंस, फूड वाउचर या कार अलाउंस शामिल है।
5. बोनस और अनुलाभ: परफॉरमेंस बेस्ड बोनस और कंपनी द्वारा दिया गया घर, वाहन या क्लब मेंबरशिप जैसे नॉन-मॉनेटरी परक्विजिट (अनुलाभ) के लिए निगोशिएशन करने पर विचार करें।
6. सही टैक्स व्यवस्था चुनें: अपने सैलरी स्ट्रक्चर में धारा 80सी की कटौती और छूटों का लाभ उठाने वाले करदाताओं के लिए पुरानी कर व्यवस्था बेहतर है। जैसे कि HRA क्लेम करना, CTC का एक भाग रीइम्बर्समेंट के रूप में प्राप्त करना आदि। लेकिन जो करदाता कर बचत उपकरणों में निवेश करना पसंद नहीं करते और आय से किसी छूट के पात्र नहीं हैं, वे नई कर व्यवस्था की कम स्लैब दरों को चुन सकते हैं। सैलरीड लोग हर साल पुरानी या नई कर व्यवस्था के बीच स्विच करना चुन सकते हैं।
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