जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और पीटीआई उपाध्यक्ष शाह महमूद कुरैशी की लीगल टीम जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए कोर्ट पहुंची तो पता चला कि मामले की सुनवाई करने वाले जज एक हफ्ते की छुट्टी पर गए हुए हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जस्टिस अबुल हसनत ज़ुल्कारनैन ने शनिवार को मामले में इमरान और कुरैशी की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई सोमवार तक के लिए टाल दी थी क्योंकि इस्लामाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही थी.
जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को जब 70 वर्षीय खान की कानूनी टीम अदालत परिसर में पहुंची, तो उन्हें पता चला कि न्यायाधीश जुल्करनैन अपनी पत्नी की बीमारी के कारण एक सप्ताह के लिए छुट्टी पर थे.
डॉन अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, खान के वकील नईम हैदर पंजोथा ने कहा कि जब कानूनी टीम अदालत परिसर में पहुंची, तो उन्हें पता चला कि न्यायाधीश जुल्करनैन एक सप्ताह के लिए छुट्टी पर हैं.
इसके बाद कानूनी टीम न्यायाधीश राजा जवाद अब्बास के अदालत कक्ष में पहुंची और उनसे जमानत याचिका पर सुनवाई करने का आग्रह किया. जिस पर जज ने जवाब दिया कि वह मामले की सुनवाई नहीं कर सकते क्योंकि वह ड्यूटी जज नहीं हैं.
जज अब्बास ने कहा, ”ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के ड्यूटी जज की कोई अधिसूचना नहीं है. अगर इस्लामाबाद हाई कोर्ट इसे चिह्नित कर सकता है, तभी मैं इसकी सुनवाई कर सकता हूं.”
पिछले महीने, एटीसी-I न्यायाधीश जुल्करनैन को राजनयिक सिफर से संबंधित मामले की सुनवाई के लिए आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत स्थापित विशेष अदालत का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था, जिसके बारे में एफआईए ने कहा था कि यह गलत था और खान द्वारा इसका इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किया गया था.
क्या है सिफर मामला?
सिफर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ प्रतिबंधित राजनयिक संचार है, जो किसी प्रकार की कोड भाषा में लिखा जाता है. इमरान पर आरोप है कि उन्होंने इसके जरिए बेहद गुप्त जानकारियों को अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया है. आरोप है कि फायदे के लिए वाशिंगटन स्थित पाक एंबेंसी ने गुप्त उन्हें जानकारी भेजी, जिसे सिफर केस के रूप में जाना जाता है.
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