जब भी किसी कार या बाइक्स इत्यादि की बात होती है तो आमतौर पर लोग इंजन कैपेसिटी के साथ-साथ एयर-कूल्ड या लिक्विड-कूल्ड जैसे शब्दों का भी इस्तेमाल करते हैं. इंजन के बारे में कही जाने वाली ये बातें आखिर क्या होती हैं और इससे वाहन के परफॉर्मेंस पर क्या असर पड़ता है. यदि आपके जेहन में भी ये सवाल उठता है तो आज हम आपको अपने इस ऑर्टिकल में एयर… लिक्विड और ऑयल कूल्ड इंजन के बारे में विस्तार से बता रहे हैं. जिससे आप आसानी से इनके पावर-परफॉर्मेंस के साथ ही फायदे और नुकसान के बारे में भी समझ सकेंगे.
क्या होता है इंजन कूलिंग:
सबसे पहले तो आपको ये समझना होगा कि, इंजन कूलिंग सिस्टम क्या होता है. बाइक में इंजन का कूलिंग सिस्टम इसे बेहतर तापमान पर काम करने की सुविधा प्रदान करता है. इंजन को बेहतर ढंग से काम करने के लिए इसके कूलिंग सिस्टम का ठीक रहना बेहद जरूरी होता है. जब इंजन चलता है तो उसके भीतर कंपोनेंट्स के मूवमेंट्स के चलते कई तरह के घर्षण (फ्रिक्शन) होते हैं, जिससे गर्मी पैदा होती है. इस हीट को कंट्रोल करना बेहद ही जरूरी होता है और इसकी जिम्मेदारी कूलिंग सिस्टम की होती है.
इंजन टेंप्रेचर (Engine Temperature) को मेंटेन करने के लिए वाहन निर्माता कंपनियां कई अलग-अलग तकनीक का इस्तेमाल करती हैं, जिनमें से तीन कूलिंग सिस्टम सबसे ज्यादा मशहूर हैं. एयर कूल्ड… ऑयल-कूल्ड… और लिक्विड-कूल्ड. दरअसल, ये कूलिंग सिस्टम के प्रकार हैं. तो आइये जानते हैं कि, ये तीनों एक दूसरे से किस तरह से अलग हैं और ये कैसे काम करते हैं.
1. एयर-कूल्ड – Air Cooled:
एयर-कूल्ड, इंजन में सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक है, जो अधिकांश भारतीय बाइक में देखने को मिलती है. ये सिस्टम इंजन को ठंडा करने के लिए कूलिंग एजेंट के रूप में हवा का उपयोग करता है. इनमें इंजन सिलेंडर के चारों ओर पंखें (Fins) लगे होते हैं जो तापमान को नीचे लाने के लिए हवा देकर इंजन को ठंडा करने का इंतजाम करते हैं. बेसिकली ये किसी गर्म चीज को हवा देकर ठंडा करने जैसी सामान्य प्रक्रिया होती है, यही कारण है कि ये कम जटिल होने के साथ-साथ सस्ती भी पड़ती है.
एयर-कूल्ड इंजन के फायदे हैं:
- आसान मैन्युफैक्चरिंग
- कम कीमत
- लो-मेंटनेंस
एयर-कूल्ड इंजन के नुकसान:
- हाई-परफॉर्मेंस इंजन में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता
- कम प्रभावी और इफिशिएंट
- कुछ मामलों में इंजन सीज की संभावना
2. ऑयल-कूल्ड – Oil Cooled:
ऑयल-कूल्ड इंजन कुछ हद तक एयर-कूल्ड इंजन के समान ही होताहै, क्योंकि इसमें भी हवा को प्रवाहित करने के लिए पंखे लगाए जाते हैं, लेकिन इसमें कूलिंग को बनाए रखने के लिए एक एकर्स्टनल ऑयल-कूलर भी लगा होता है जो इंजन ऑयल को ठंडा करने में मदद करता है. जब इंजन हीट बढ़ जाता है तो गर्म इंजन तेल को इस रेडिएटर के माध्यम से प्रसारित किया जाता है, जो तेल को ठंडा करने के लिए हवा का उपयोग करता है और इसे इंजन में वापस पंप किया जाता है. तो बेसिकली ऑयल को ठंडा करने के लिए मुख्य रूप से हवा ही काम आती है. इंडियन मार्केट में 150 से160 सीसी की बाइक्स में इस सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है.
ऑयल-कूल्ड इंजन के फायदे:
- साधारण एयर कूलिंग की तुलना में ज्यादा कुशल
- तकनीकी रूप से सिंपल
- किफायती और मेंटनेंस में आसान
ऑयल-कूल्ड इंजन के नुकसान:
- इसे भी हाई-परफॉर्मेंस बाइक्स में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
- परफॉर्मेंस में लिक्विड-कूल्ड विकल्प के बराबर नहीं.
3. लिक्विड-कूल्ड – Liquid Cooled:
लिक्विड-कूल्ड इंजन दुनिया भर में मशहूर है और इसका इस्तेमाल हाई-परफॉर्मेंस वाली कार, बाइक्स और यहां तक कि हैवी ट्रकों में भी किया जाता है. विदेशों के अलावा इंडियन मार्केट में भी उपलब्ध हाई-परफॉर्मेंस वाली बाइक्स में लिक्विड-कूल्ड इंजन का उपयोग किया जाता है. ये भारी ट्रैफिक के जाम के स्थिती या चढ़ाई वाली इलाकों में भी इंजन के परफॉर्मेंस को बेहतर बनाए रखने के लिए उसे ठंडा रखता है. इस सिस्टम में, इंजन सिलिंडर के चारों तरफ एक वेब (Web) पैसेज दिया जाता है जिसमें कूलेंट (Coolant) प्रसारित किया जाता है जो कि इंजन को ठंडा रखता है. इंडियन मार्केट में Yamaha R15 और KTM Duke जैसी बाइक सीरीज में लिक्विड-कूल्ड इंजन मिलता है.
लिक्विड-कूल्ड इंजन के फायदे:
- अन्य दो विकल्पों की तुलना में ज्यादा कूलिंग.
- लंबे समय तक हाई-परफॉर्मेंस
- एयर-कूल्ड और ऑयल-कूल्ड की तुलना में काफी बेहतर.
- बेहतर माइलेज
लिक्विड-कूल्ड के कुछ नुकसान:
- ज्यादा जटिल और महंगा
- हाई-मेंटनेंस सिस्टम
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