चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. अब चीन ने ऑफिशियल मैप जारी कर अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चिन, ताइवान और विवादित दक्षिण चीन सागर को अपना हिस्सा बता दिया है. चीन की इस हरकत पर भारत ने फटकार लगाई है. इस मैप के जारी होने के बाद भारत में सियासी आरोप प्रत्यारोप भी शुरू हो गए हैं. कांग्रेस, AIMIM समेत तमाम विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरा है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चीन के मैप को गंभीर मुद्दा बताया है. उधर, निर्वासित तिब्बती संसद के सदस्य ने भी चीन की विस्तारवादी नीति की निंदा की है. उन्होंने कहा कि चीन पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता.
क्या है पूरा विवाद?
चीन ने हाल ही में ‘स्टैंडर्ड मैप ऑफ चाइना’ का 2023 संस्करण जारी किया, जिसमें दावा किया गया कि अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन चीन का हिस्सा हैं. इतना ही नहीं मैप में दक्षिण चीन सागर को कवर करने वाली तथाकथित नाइन-डैश लाइन को भी चीन के हिस्से के रूप में दिखाया गया है. 1962 के युद्ध में चीन ने अक्साई चिन पर कब्जा किया गया था. वहीं भारत ने चीन से बार-बार कहा है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा.
भारत ने जताई आपत्ति
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन पर दावा जताने वाले चीन के तथाकथित मैप को खारिज करते हुए कहा कि सिर्फ बेतुके दावे करने से अन्य लोगों के क्षेत्र आपके नहीं हो जाते. उन्होंने कहा, बीजिंग ने पहले भी उन क्षेत्रों पर दावा करते हुए ऐसे नक्शे जारी किए थे, जो उसके नहीं हैं और यह चीन की पुरानी आदत है.
जयशंकर ने कहा, ”यह कोई नयी बात नहीं है. इसकी शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी. इसलिए भारत के कुछ क्षेत्रों पर अपना दावा करने वाला मानचित्र पेश करने से मुझे लगता है कि इससे कुछ नहीं बदलता. ये भारत का हिस्सा हैं. हम बहुत स्पष्ट हैं कि हमारे क्षेत्र कहां तक हैं. यह सरकार इस बारे में बहुत स्पष्ट है कि हमें अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए क्या करने की जरूरत है. आप इसे हमारी सीमाओं पर देख सकते हैं. मुझे लगता है कि इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए.
कड़ा विरोध जताया
भारत ने मंगलवार को मानचित्र मुद्दे पर चीन के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया और कहा कि चीनी पक्ष के ऐसे कदम सीमा से जुड़े विषय को केवल जटिल ही बनाएंगे. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, हमने चीन के तथाकथित ‘मानक मानचित्र’ के 2023 के संस्करण पर राजनयिक माध्यमों के जरिए कड़ा विरोध दर्ज कराया है, जो भारतीय क्षेत्र पर दावा करता है. उन्होंने कहा, हम इन दावों को खारिज करते हैं जिसका कोई आधार नहीं है.
सियासी आरोप-प्रत्यारोप हुए शुरू
कांग्रेस ने अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को चीन के मानचित्र में दिखाये जाने पर मंगलवार को कड़ी आपत्ति जताई. कांग्रेस ने कहा कि ये भारत के अभिन्न अंग हैं और मनमाने तरीके से तैयार किया गया कोई चीनी नक्शा इसे नहीं बदल सकता. कांग्रेस ने भारत सरकार से मांग की कि आगामी G-20 समिट के दौरान भारतीय क्षेत्र में चीन की घुसपैठ का वैश्विक स्तर पर खुलासा किया जाए.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट कर कहा, अन्य देशों से जुड़े क्षेत्रों का नाम बदलने और उन्हें नक्शों पर दर्शाने के मामले में चीन आदतन अपराधी रहा है. कांग्रेस इस तरह के अवैध सीमांकन या भारतीय क्षेत्रों का नाम बदलने पर कड़ी आपत्ति जताती है. उन्होंने कहा, हम अपने पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व चाहते हैं जिसमें चीन शामिल है. हम वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अमन चैन चाहते हैं.
खड़गे ने मोदी सरकार को घेरा
उन्होंने आगे लिखा, हालांकि यह दुखदायी है कि गलवान की घटना के बाद चीन की ओर से धोखेबाजी और आक्रामकता जारी है. पीएम नरेन्द्र मोदी की ओर से दी गई छूट के कारण ऐसा हुआ, जिन्होंने हमारे 20 बहादुर जवानों की शहादत के बाद कहा था कि हमारे क्षेत्र में कोई नहीं घुसा. खड़गे ने कहा, मई 2020 से पहले बनी यथास्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण है और सरकार को इस स्थिति की बहाली से कम किसी चीज में नहीं मानना चाहिए. मोदी सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि एलएएसी में भारतीय क्षेत्र में 2000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर चीन का अवैध कब्जा समाप्त होना चाहिए.
कांग्रेस नेता और लोकसभा सदस्य मनीष तिवारी ने भी अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावों को बेतुका, अतार्किक और ऐतिहासिक रूप से गलत करार दिया और सरकार से अपील की कि हाल के दिनों में चीन द्वारा अतिक्रमण में कब्जाए गए भारतीय क्षेत्रों पर पुन नियंत्रण पाया जाए. उन्होंने ट्वीट किया, भारत और चीन के बीच लंबित मुद्दा अप्रैल 2020 से अवैध तरीके से कब्जाये क्षेत्र को छोड़ना है. मोदी सरकार को आत्मावलोकन करना चाहिए कि दिल्ली में शी चिनफिंग को तवज्जो देनी है या नहीं, क्योंकि उन्होंने भारतीय क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर रखा है.
राहुल बोले- ये बहुत गंभीर मुद्दा
राहुल गांधी ने कहा, मैं तो सालों से कह रहा हूं कि चीन ने कब्जा किया है. लेकिन पीएम कहते है कि चीन ने कब्जा नहीं किया, ये तो झूठ है. चीन ने हमारी जमीन ले ली है , ये तो लद्दाख के लोग भी कह रहे हैं . ये चीन के मैप का मुद्दा तो गंभीर है.
ओवैसी ने पीएम मोदी को घेरा
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, सीमा पर चीन की तैयारियां सरकार के भीतर खतरे की घंटी बजा रही हैं. इसके बजाय हमारे पास एक प्रधानमंत्री हैं जो शी जिनपिंग से एक बैठक के लिए अपील कर रहे हैं, जहां कभी यथास्थिति बनाए रखने का जिक्र नहीं हुआ. सैटेलाइट इमेज से पता चलता है कि चीन अक्साई चिन में भूमिगत सुविधाएं बढ़ा रहा है. भारत की प्रतिक्रिया कमज़ोर और डरपोक नहीं हो सकती. हमें चीन के सामने खड़े होने की जरूरत है. लेकिन हमारे पास एक ऐसा प्रधानमंत्री है जो चीन को नाम लेकर नहीं बुला सकता और एक ऐसी सरकार है जो इस विषय पर संसद में सभी चर्चाओं को रोक देती है.
उन्होंने कहा, सीमा को लेकर ये नए खुलासे भारत की चीन नीति पर चर्चा के लिए संसद के विशेष सत्र की मांग करते हैं. चाहे मणिपुर हो या लद्दाख, भारतीय जनता को अंधेरे में रखने का काम किया है और हमारे लिए अहित का ही काम करेगा.
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