श्रीकृष्ण जन्मभूमि, शाही ईदगाह मस्जिद सहित पूरी भूमि का अधिग्रहण कर ट्रस्ट बनाकर पूजा का अधिकार देने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया है. इस बाबत मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने आदेश दिया है.
याची अधिवक्ता महक महेश्वरी का कहना है कि एक समझौते के तहत कृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ जमीन में से 11.37 एकड़ जन्मभूमि मंदिर और शेष 2.37 एकड़ भूमि शाही ईदगाह को सौंपा जाना गलत है. याचिका में एएसआई से साइंटिफिक सर्वे कराने की भी मांग की गई है.
अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और मुख्य स्थायी अधिवक्ता कुणाल रवि ने राज्य सरकार का पक्ष रखा. जनहित याचिका में शाही ईदगाह परिसर को हिंदुओं को सौंपे जाने की मांग की गई है. याची का कहना है कि जहां शाही ईदगाह है, वहीं कंस का कारागार था. इसमें भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. मंदिर को तोड़कर वहां शाही ईदगाह मस्जिद बनाई गई है.
कॉरिडोर मामले में सुनवाई 18 सितंबर को
इलाहाबाद हाईकोर्ट मथुरा वृंदावन में प्रस्तावित बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर और यमुना घाटों के सौंदर्यीकरण को लेकर दाखिल याचिकाओं की सुनवाई 18 सितंबर को करेगा. याचिका की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने की.
कोर्ट ने सभी पक्षों के वकीलों से कहा था कि यह ऐसा मामला है जिसमें मिल बैठकर निदान किया जा सकता है. कोर्ट ने इस मामले को मध्यस्थता से हल किए जाने पर बल दिया. महाधिवक्ता कैंप कार्यालय में इसी मुद्दे पर सहमति के लिए सभी पक्षों की 27अगस्त को बैठक हुई, मगर, सहमति नहीं बनी.
इस मामले में अनंत शर्मा व अन्य और महंत मधु मंगल दास व अन्य की तरफ से जनहित याचिका दाखिल की गई है. सरकार की ओर से प्रदेश के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और मुख्य स्थायी अधिवक्ता कुणाल रवि ने पक्ष रखा.
बांके बिहारी मंदिर की तरफ से सेवायतों के अधिवक्ता ने कहा कि मंदिर उनका है. मंदिर में मिलने वाले दान पर उनका हक है. सरकार इस पैसे को विकास के नाम पर उनसे नहीं ले सकती. बहरहाल, कोर्ट जनहित याचिकाओं पर 18 सितंबर को सुनवाई करेगा.
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