नाश्ते में अधिकतर लोग ब्रेड का सेवन करते हैं. ब्रेड को घी में सेंककर, दूध में डुबोकर या ऑमलेट के साथ ब्रेड, ब्रेड पकौड़ा, ब्रेड रोल, ब्रेड हलवा बनाकर खाया जाता है. हर घर में आपको ब्रेड का पैकेट जरूर रखा मिल जाएगा. सुबह-सुबह दुकानों पर बाहर ब्रेड के पैकेट सजा दिए जाते हैं, सड़कों पर गलियों में वेंडर भी सुबह-सुबह ब्रेड लेकर पहुंच जाते हैं. 5 स्टार होटल हो या स्ट्रीट साइड लगे ठेले… ब्रेड के दीवाने हर जगह हैं. ब्रेड को दुनिया के हर कोने में खाया जाता है.
बाजार में ब्रेड की कई वैरायटी मौजूद हैं, जिसमें से सबसे ज्यादा कॉमन है व्हाइट ब्रेड. हालांकि, हेल्थ कॉन्शियस लोग सेहत के लिहाज से होल व्हीइट ब्रेड, ओटमील ब्रेड या ब्राउन ब्रेड खाना प्रिफर करते हैं. माना जाता है कि यह ब्रेड शरीर के लिए हेल्दी हैं, इसमें व्हाइट ब्रेड के मुकाबले कम मैदा मिलाया जाता है इसीलिए यह नुकसानदायक नहीं हैं, लेकिन क्या वाकई में ऐसा है? ब्रेड खरीदने से पहले क्या आपने कभी पैकेट पर लिखे इंग्रीडिएंट्स को चेक किया है? सच्चाई जानकर आप भी कुछ पल के लिए सोचेंगे कि क्या ब्रेड हेल्दी है या नहीं. आइए जानते हैं होल व्हीइट ब्रेड, ब्राउन ब्रेड और व्हाइट ब्रेड में क्या सामग्री डाली जाती है.
ब्रेड किन चीजों से बनती है
शुरुआत हम व्हाइट ब्रेड से करते हैं, यानी रिफाइन ब्रेड. यह एक कॉमन ब्रेड है जो अधिकतर घरों में देखा जाती है. इसे मैदा से बनाया जाता है जिसमें फाइबर की मात्रा बेहद कम होती है. हर ब्रेड को बनाने में आटा, खमीर, नमक और पानी, ये चार सामग्री का इस्तेमाल जरूर होता है और व्हाइट ब्रेड सिर्फ इन्हीं चार चीजों को मिलाकर बन जाती है. इन चार चीजों को मिलाकर लचीला आटा गूंथा जाता है और फिर इसे 1-2 दिन तक फर्मेंट किया जाता है. ब्रेड बनाने के लिए सालों से इसी प्रक्रिया का इस्तेमाल होता आ रहा है. हालांकि, अब फर्मेंटेशन के अलग-अलग तरीके इस्तेमाल होने लगे हैं.
गेहूं के इस हिस्से से बनती है व्हीट ब्रेड और व्हाइट ब्रेड
सबसे पहले यह जान लें कि एक गेहूं के दाने के 3 हिस्से होते हैं. Bran (इसमें ज्यादातर विटामिन्स, न्यूट्रीएंट्स और मिनिरल्स पाए जाते हैं). यह दिखने में ब्राउन कलर का होता है. दूसरा हिस्सा होता है Endosperm, इसमें न्यूट्रीएंट्स कम और कार्बोहाइड्रेट ज्यादा पाए जाते हैं. इसी के अंदर तीसरा हिस्सा होता है जिसे हम Germ कहते हैं. अब जब व्हाइट ब्रेड बनाई जाती है तो इसमें से Bran लेयर यानी कि ब्राउन हिस्से को निकाल दिया जाता है. बचे हुए हिस्से को रिफाइन करके व्हाइट ब्रेड बनाई जाती है. यहीं से आटा और मैदा निकल आता है. होल व्हीट ब्रेड में पूरी तरह गेंहू का आटा मिलाया जाता है. वहीं, अगर ब्राउन ब्रेड की बात करें तो यह बिल्कुल व्हाइट ब्रेड की तरह बनती है, बस इसमें कलर के लिए कैरेमल और ब्राउन फूड कलर मिलाया जाता है.
Whole Wheat Bread
जरूरी नहीं कि जो होल व्हीट ब्रेड आप बाजार से खरीद रहे हैं वह इसी तरह बनाई गई हो. अगर आप ब्राउन ब्रेड के पैकेट को ध्यान से पढ़ें तो उसमें लिखी सामग्री में सबसे ज्यादा मात्रा मैदा की होती है. सोशल मीडिया पर ऐसी कई वीडियोज़ वायरल हैं, जिसमें होल व्हीट ब्रेड के पीछे लिखे पैकेट की सामग्री को दिखाया गया है. वहां साफ लिखा होता है कि इसमें कितना गेहूं का आटा है, कितना मैदा. जब भी आप होल व्हीट ब्रेड खरीदें तो इसके पीछे लिखी सामग्री पर जरूर गौर करें.
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के अनुसार, होल व्हीट ब्रेड में कम से कम 75 प्रतिशत गेंहू का आटा होना चाहिए तब ही वह होल व्हीट ब्रेड मानी जाएगी. आप जब भी बाजार से होल व्हाइट खरीदें तो इसमें कितने प्रतिशत गेहूं ता आटा है यह जरूर चेक कर लें. यह भी देखा गया है कि ब्रेड के पीछे सामग्री तो लिखी होती है लेकिन उसमें मात्रा कितनी है, यह साफ नहीं होता. ऐसे में जो सामग्री सबसे पहले लिखी हुई होती है उस सामग्री की मात्रा सबसे ज्यादा होती है.
Brown Bread
ब्राउन ब्रेड को भी मैदा से बनाया जाता है, बस इसमें स्वाद और कलर के लिए कैरेमल और ब्राउन फ्रूड कलर मिलाया जाता है. हालांकि, हेल्थ के नजरिए से भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने इस ब्रेड में भी गेहूं के आटे को यूज करने के मात्रा निधार्रित की है. Fssai के अनुसार, ब्राउन ब्रेड में 50 प्रतिशत गेहूं का आटा होना आवश्यक है.
Oatmeal Bread
आजकल नाश्ते में वेट लॉस के लिए और हेल्दी डाइट में ओटस् भी शामिल किए जाते हैं. इसी तरह लोग ओटमील ब्रेड भी खाना प्रिफर करते हैं जिसमें विनेगर, सिट्रिक ऐसिड, गेहूं का आटा, सूरजमुखी बीज, ग्लूटन और तरह-तरह के बीज मिलाए जाते हैं, इसी वजह से इनको ओटमील ब्रेड कहा जाता है. FSSAI के अनुसार, 10 ग्राम ओटमील ब्रेड में कम से कम 15 प्रतिशत प्रोटीन होना जरूरी है और करीबन 15 प्रतिशत ओट्स भी होने चाहिए.
Multi Grain Bread
मोटे अनाज को लेकर अब हर कोई समझदार हो गया है. सरकार भी इसके उत्पादन और उपभोग को लेकर लोगों को जागरुक कर रही है. गेहूं के आटे की जगह लोग तरह-तरह के अनाज से बने आटे की रोटी, पराठे बनाना प्रिफर करते हैं. इसी को देखते हुए बाजार में मल्टीग्रेन आटे के साथ-साथ मल्टीग्रेन ब्रेड भी आने लगी है. इस ब्रेड को बनाने में गेहूं के आटे के अलावा जौ, बाजरा समेत कई अनाज शामिल किए जाते हैं. इसमें होने वाले धांधलेबाजी को रोकने के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा ने यह नोटिफिकेशन जारी किया था कि मल्टीग्रेन ब्रेड में गेहूं के आटे के अलावा 20 प्रतिशत बाकी अनाजों का मिश्रण होना चाहिए.
Food Safety and Standards (Labelling and Display) Second Amendment Regulations, 2022
कई कंपनियां और बेकरी पैकेट के लेबल पर विशिष्ट सामग्री के नाम का उपयोग करती हैं. FSSAI के अनुसार, अगर कंपनियां ऐसा करें तो ब्रेड में उस सामग्री की जरूरी और सही मात्रा को पूरा करना अनिवार्य है. जैसे फ्रूट ब्रेड में कम से कम 10 प्रतिशत कैंडिड फ्रूट सामग्री होनी ही चाहिए और मिल्क ब्रेड में 6 प्रतिशत दूध होना ही चाहिए. यह मानक खाद्य सुरक्षा और मानक (लेबलिंग और प्रदर्शन) 2 संशोधन विनियम, 2022 का हिस्सा हैं. यह कंपनियों के साथ-साथ कन्स्यूमर के लिए अधिक स्पष्टता लाएगा. जो कंपनियां अपने उत्पादों पर गलत लेबल लगा रही हैं उन्हें इन नियमों का पालन जरूरी है. इससे कस्टमर बेहतर और सही प्रोडकट् खरीद पाएंगे.
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