हिंदी फिल्मों के बेहद चर्चित अभिनेता, निर्माता, निर्देशक और पटकथा लेखक राकेश रोशन अपनी उम्र के 74वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं. उनका जन्म 6 सितम्बर, 1949 को हुआ था. माया नगरी में एक अलग मुकाम हासिल करने वाले राकेश रोशन साहित्य की दुनिया में भी पैठ बना रहे हैं. ‘टू डैड विद लव’ (To Dad With Love) राकेश रोशन की आत्मकथा है और इसे लिखा है उनकी बेटी सुनैना रोशन ने. इस किताब की प्रस्तावन राकेश रोशन के सुपर स्टार बेटे ऋतिक रोशन ने लिखी है. हालांकि इस किताब को बाजार में आए हुए दो साल का समय हो चुका है. उनके बेटे ऋतिक रोशन इसे दो बार लॉन्च कर चुके हैं.
‘टू डैड विद लव’ को राकेश रोशन की आधिकारिक आत्मकथा कहा जा रहा है. अंग्रेजी में आई इस किताब के बारे में लिखा भी गया है- To Dad with Love- Authorised Biography of Rakesh Roshan. हालांकि इससे मिलते-जुलते नाम ‘टू सर विद लव’ की किताब अंग्रेजी साहित्य की दुनिया में बहुत ही पॉपुलर है. इसे लिखा है लेखक ब्रेथवेट ने. यह किताब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहद चर्चित किताब है.
खैर, बात राकेश रोशन की आत्मकथा ‘टू डैड विद लव’ की. यह किताब बताती है कि कृष 3 जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्म के निर्माता राकेश रोशन किसी समय एक अभिनेता के रूप में खुद की जगह और पहचान बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे. उनकी फिल्मों की तरह उनकी जीवन यात्रा भी कठिन बाधाओं से भरी रही है, लेकिन इन बाधाओं को राकेश रोशन ने हर बार कामयाबी के साथ पार किया है.
लेखक कभी रिटायर नहीं होता और कभी स्वर्गीय नहीं होता – शरद जोशी
राकेश रोशन की आत्मकथा बताती है कि उन्होंने अपने बेटे ऋतिक रोशन को फिल्मी दुनिया में यूं ही प्रवेश करने नहीं दिया. इसके लिए बकायदा स्टडी की गई. पिता के रूप में राकेश रोशन ने अपने बेटे को लॉन्च करने से पहले फिल्मी दुनिया के अपने अनुभवों और अपनी तालीम का पूरा इस्तेमाल किया. उन्होंने ऋतिक के लिए एक रणनीति बनाई, उसके लिए जमीन तैयार की, तब जाकर बड़े पर्दे पर एंट्री कराई.
‘टू डैड विद लव’ में राकेश रोशन की बेटी सुनैना रोशन ने अपने पिता की मार्मिक कहानी बताने के लिए उनके करीबी लोगों को शामिल किया है. वे अपने अनुभव के साथ-साथ राकेश रोशन के संगी-साथियों की बातें भी शेयर की हैं.
किताब में एक जगह सुनैना बताती हैं कि बचपन में सुनैना रोशन को बाहर घूमना बहुत पसंद था और शरारतें करने का शौक था. सुनैना के लिए, ‘अगर मां शिक्षिका होती, तो पिता प्रिंसिपल होते.’ मुंबई के सेंट टेरेसा कॉन्वेंट में स्कूली शिक्षा के बाद सुनैना ने स्विट्जरलैंड में इंस्टीट्यूट विला पियरेफ्यू में एक साल बिताया. जून 2001 में, उन्हें तपेदिक मैनिंजाइटिस का पता चला, तो उन्होंने बिना किसी को बताए चुपचाप इस बीमारी विजय प्राप्त कर ली. अक्टूबर 2007 में, सुनैना ने जब अपने पिता के प्रोडक्शन हाउस ‘फिल्मक्राफ्ट’ के साथ काम करना शुरू किया, तो उन्हें सर्वाइकल कैंसर का पता चला. एक बार फिर वह चुनौती पर खरी उतरीं और विजयी हुईं.
सुनैना के छोटे भाई ऋतिक रोशन का मानना है कि सुनैना परिवार में असली ‘सुपरहीरो’ हैं.
किन्नर के शव को जूतों-चप्पलों से पीटा जाता है, कैसे होता है अंतिम संस्कार? जानें क्या है सच्चाई
इस पुस्तक में बॉलीवुड की यादें शामिल हैं. राकेश रोशन के परिवार, सह-कलाकार और मित्रों की यादों को संजोया गया है. पुस्तक में रोशन परिवार के मुंबई और दिल्ली सहित अन्य शहरों में बिताए पल शामिल हैं, परिवार की तस्वीरें, मीडिया के साथ राकेश रोशन के इंटरव्यू आदि को शामिल किया गया है. कुल मिलाकर इस पुस्तक में पाठकों को राकेश रोशन के साथ-साथ उनके परिवार और उनके मित्रों को भी नजदीक से जानने का मौका मिलेगा.
राकेश रोशन की फिल्में
राकेश रोशन का जन्म 6 सितंबर 1949 को मुंबई, महाराष्ट्र में रोशन लाल नागरथ के घर हुआ था, जिन्हें संगीत निर्देशक रोशन के नाम से जाना जाता है. राकेश के छोटे भाई राजेश रोशन भी एक संगीत निर्देशक हैं. वे एक पंजाबी कायस्थ परिवार से हैं. राकेश की शादी डायरेक्टर ओम प्रकाश की बेटी पिंकी से हुई है.
राकेश रोशन ने एक अभिनेता के रूप में अपने करियर की शुरुआत 1970 की फिल्म ‘घर घर की कहानी’ से की थी. मुख्य किरदार के रूप में हेमा मालिनी के साथ ‘पराया धन’ उनकी पहली फिल्म थी. राकेश रोशन ने 60 से अधिक फिल्मों में काम किया. एक अभिनेता के रूप में उनकी सबसे उल्लेखनीय फिल्में ‘आंखों आंखों में’, ‘जख्मी’, ‘खेल खेल में’, ‘खट्टा मीठा’, ‘झूठा कहीं का’, ‘खूबसूरत’, ‘आप के दीवाने’, ‘हमारी बहू अलका’, ‘कामचोर’ और ‘भगवान दादा’ थीं. उन्होंने ज्यादातर ऋषि कपूर के साथ मल्टी-स्टारर फिल्मों में काम किया.
बनाया अपना प्रोडक्शन हाउस
राकेश रोशन ने 1980 में फिल्म निर्माण के क्षेत्र में हाथ आजमाया और अपना खुद का प्रोडक्शन हाउस ‘फिल्मक्राफ्ट’ खोला. ‘फिल्मक्राफ्ट’ के बैनर तले राकेश रोशन ने पहली बार फिल्म ‘आप के दीवाने’ (1980) का निर्माण किया. 1987 में उन्होंने अपनी पहली फिल्म ‘खुदगर्ज’ का निर्देशन किया. इसके बाद उन्होंने ‘खून भरी मांग’ (1988), ‘किशन कन्हैया’ (1990), ‘किंग अंकल’ (1993), ‘करण अर्जुन’ (1995), ‘कोयला’ (1997) जैसी कई प्रमुख फिल्मों का निर्देशन किया.
राकेश रोशन ने अपने बेटे ऋतिक रोशन को सन् 2000 में फिल्म ‘कहो ना प्यार है’ में लॉन्च किया. यह फिल्म किसी भी बॉलीवुड फिल्म द्वारा जीते गए सर्वाधिक पुरस्कारों के लिए लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुई. ‘कोई मिल गया’ के निर्देशन के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला. उन्होंने 2006 में इसका सीक्वल ‘कृष’ भी बनाया जो एक बार फिर ब्लॉकबस्टर रहा. उन्होंने 2010 में ‘काइट्स’ का भी निर्माण किया.
पुस्तकः टू डैड विद लव (राकेश रोशन की आत्मकथा)
लेखकः सुनैना रोशन
भाषाः अंग्रेजी
प्रकाशकः ओम बुक्स इंटरनेशनल
.
Tags: Books, Hindi Literature, Literature
FIRST PUBLISHED : September 05, 2023, 17:59 IST
hindi.news18.com
Source link