चार्टडे अकाउंटेंट से वकील बनने वाले हरीश साल्वे आजकल अपनी तीसरी शादी को लेकर चर्चा में हैं. उन्होंने 68 साल की उम्र में तीसरी शादी की है. लंदन में एक भव्य समारोह के दौरान हरीश साल्वे ने ईसाई रीति-रिवाज से ट्रिना के साथ शादी की है. इस शादी में भारत से भी कई मेहमान शामिल हुए. हरीश साल्वे रतन टाटा और सुनील मित्तल समेत कई दिग्गज बिजनेसमैन के केस लड़ चुके हैं. इसके अलावा यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान और ललित मोदी के लिए भी केस लड़ चुके हैं. पर क्या आपको पता है कि हरीश साल्वे ने अपने वकालत के करिअर की शुरुआत किस केस से की थी? यह केस किस बॉलीवुड एक्टर का था और इस केस के लिए हरीश साल्वे ने कितनी फीस ली थी. 10 प्वाइंट में जानें इसकी हर डिटेल
हरीश साल्वे नागपुर में पले-बढ़े हैं और अभी भी अपने करीबी दोस्तों के साथ मिलते-जुलते हैं, जिन्हें वह पिछले तीन दशकों से जानते हैं, लेकिन कोई भी वकालत के पेशे से नहीं है.
हरीश साल्वे ने पहली नौकरी नागपुर में एक चार्टर्ड अकाउंटेंट फर्म में आर्टिकल क्लर्क के रूप में की थी. हरीश को यहां 50 रुपये का स्टाइपेंड मिलता था.
नानी पालखीवाला ने ही हरीश साल्वे को वकालत में आने के लिए प्रोत्साहित किया. इसके बाद हरीश साल्वे की धीरे-धीरे अकाउंटेंसी में रुचि खत्म हो गई और वह टैक्स के केसों में रुचि लेने लगे. जब उनकी रुचि गहरी हो गई तो उन्होंने फैसला लिया कि यदि उन्हें टैक्सेशन की प्रैक्टिस करनी है तो उन्होंने वकील बनने का विकल्प चुनना होगा.
साल्वे ने अपने वकालत के करियर शुरुआत अपने पिता के साथ वर्ष 1975 में की थी. उन्होंने पहला केस उस वक्त के बॉलीवुड के सुपरस्टार दिलीप कुमार का केस लड़ा था. इस केस में उनके पिता ने उनकी मदद की थी.
अभिनेता दिलीप कुमार पर ब्लैक मनी रखने का आरोप गला था. इनकम टैक्स डिर्पाटमेंट ने दिलीप कुमार को नोटिस भेजा और बकाया टैक्स के साथ भारी हर्जाना की मांग की. ट्रिब्यूनल और हाई कोर्ट के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया.
‘लीगल ईगल्स’ को दिए एक इंटरव्यू के दौरान साल्वे ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा था कि मैं सुप्रीम कोर्ट में दिलीप कुमार का वकील था. इनकम टैक्स डिर्पाटमेंट की अपील खारिज करने के लिए न्यायाधीशों को 45 सेकंड का समय मिलता है. दिलीप कुमार हमारे पारिवारिक मित्र थे. वह बहुत खुश थे क्योंकि कोर्ट में मुझे उनकी तरफ से बहस करनी थी. उन्होंने कहा था कि अगर कोर्ट में मुझे बहस करनी पड़ती तो मेरी आवाज टूटती और सौभाग्य से अदालत ने मुझसे जिरह करने के लिए नहीं कहा.
1978 में, हरीश साल्वे ने ने सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू करने के लिए दिल्ली शिफ्ट होने का फैसला लिया. उन्होंने ट्रेनी के रूप में जे.बी. दादाचंदजी एंड कंपनी में शामिल हो गए. इसी समय उन्हें मिनर्वा मिल्स केस (मिनर्वा मिल्स लिमिटेड बनाम यूनियन ऑफ इंडिया, एआईआर 1980 एससी 1789) में पालखीवाला की हेल्प करने का मौका मिला.
बताया जाता है कि 1980 के दशक में जब साल्वे ने बार काउंसिल ऑफ दिल्ली में शामिल हुए तो उनके पिता खुश नहीं थे. वह चाहते थे कि साल्वे नागपुर में उनके द्वारा स्थापित प्रतिष्ठित चार्टर्ड अकाउंटेंसी फर्म साल्वे एंड कंपनी को संभालें. हरीश ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि मैंने साल्वे एंड कंपनी के लिए काम किया था. मैंने उनके साथ अपने लेख लिखे और फर्म में काम करते हुए अपनी सीए परीक्षा भी पास की. मेरे पिता चाहते थे कि मैं टेक्ससेशन कानून का काम करूं, क्योंकि उन्हें लगा कि परिवार द्वारा चलाई जा रही फर्म में यह मेरे कंफर्ट जोन में होगा.
साल्वे को 1992 में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक सीनियर वकील के रूप में नामित किया था. साल्वे ने महिंद्रा, कई टाटा कंपनियों जैसे कॉर्पोरेट दिग्गजों से जुड़े महत्वपूर्ण मामलों में पेश हो चुके हैं. इसके साथ-साथ रतन टाटा के केस का प्रतिनिधित्व करने का मौका साल्वे को मिला है.
हरीश साल्वे ने इटेलियन दूतावास का भी प्रतिनिधित्व किया. जब उन्होंने उसके दो नौसैनिकों का बचाव किया था, जिन पर केरल तट पर दो मछुआरों की हत्या का आरोप था. इसके बाद में जब इटली सरकार ने नौसैनिकों को वापस न लौटाने की धमकी दी तो वह मामले से हट गए थे.
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FIRST PUBLISHED : September 05, 2023, 12:53 IST
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