Who the first Indian actor to get a 1 crore salary: 80 के दशक के अंत और 90 के दशक की शुरुआत में भारतीय फिल्म उद्योग में कुछ ऐसे लोग थे जिन्हें सुपरस्टार कहा जा सकता था. इनमें वेशक सबसे बड़ा नाम था शहंशाह अमिताभ बच्चन. लेकिन उसी दौरान के सुपरस्टार दक्षिण में, रजनीकांत, कमल हासन, मोहनलाल और ममूटी जैसे नाम थे. फिर बिग बी यानी अमिचाभ बच्चन की जगह शाहरुख ले ली थी. लेकिन एक और नाम था, जो न सिर्फ लोकप्रियता के मामले में उनकी बराबरी कर रहा था बल्कि बॉक्स ऑफिस पर कमाई के मामले में भी उनसे आगे निकल रहा था. इस आर्टिकल में उसी सुपरस्टार को लेकर बात कर रहे हैं, जो अब तक 150 फिल्मों में दिख चुका है लेकिन अब वो बैक टू बैक फ्लॉप फिल्में दे रहा है.
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1992 में, द वीक पत्रिका के संयोजक की शोभा उसी तेलुगू सुपरस्टार ने संभाली थी जिसका टाइटल चिल्लाया ‘बच्चन से भी बड़ा’ था. वो कोई नहीं बल्कि साउथ के चिरंजीवी ही हैं जिन्हें स्टार नहीं बल्कि मेगास्टार के नाम से जाना जाता है.
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1992 में, द वीक पत्रिका के संयोजक की शोभा उसी तेलुगू सुपरस्टार ने संभाली थी जिसका टाइटल चिल्लाया ‘बच्चन से भी बड़ा’ था. वो कोई नहीं बल्कि साउथ के चिरंजीवी ही हैं जिन्हें स्टार नहीं बल्कि मेगास्टार के नाम से जाना जाता है.
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बीते दौर में भी चिरंजीवी एक फिल्म के लिए 1 करोड़ रुपए चार्ज करने वाले पहले भारतीय अभिनेता बन गए थे. उस समय एक आने वाली फिल्म के लिए उनकी सैलरी 1.25 करोड़ रुपए थी. यह तब है जब अमिताभ बच्चन प्रति फिल्म 75-80 लाख रुपये चार्ज कर रहे थे और रजनीकांत और कमल हासन उससे भी कम.
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90 के दशक के मध्य में कमल हासन द्वारा एक फिल्म के लिए 1.5 करोड़ रुपये चार्ज करने तक चिरंजीवी कुछ वर्षों तक भारत के सबसे अधिक भुगतान पाने वाले अभिनेता बने रहे. इसके बाद शाहरुख खान आए जिन्होंने 90 के दशक के अंत और 2000 के दशक तक प्रति फिल्म 2-3 करोड़ रुपए से अधिक चार्ज करना शुरू कर दिया था. हालांकि, किंग खान के आने से चिरंजीवी के स्टारडम पर कुछ ज्यादा असर नहीं पड़ा.
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22 अगस्त 1955 को जन्मे चिरंजीवी ने अपने करियर की शुरुआत 1978 में पुनाधिरल्लू और प्रणाम खरीदु से की थी. हालांकि, उनकी शुरुआती भूमिकाओं ने उन्हें दर्शकों के बीच पहचान दिलाई, लेकिन 80 के दशक की शुरुआत तक उनका क्रेज थोड़ा कम हो गया था. उनकी सबसे बड़ी सफलता खैदी (1983) थी, जो एक कमर्शियल हिट थी. इसके बाद उन्होंने एक्शन जेनरे में सफलताओं का सिलसिला जारी रखा.
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साल 1991 तक, कोडमासिम्हम और गैंग लीडर की सफलताओं के साथ, उन्हें ‘तेलुगू सिनेमा का बॉस’ करार दिया गया. उसी दौरान ‘मेगास्टार’ टैग भी उनके करियर में बाद में आया. चिरंजीवी 40 के दशक में भी तेलुगू सिनेमा के अपकमिंग स्टार बने रहे और 2002 की अपनी फिल्म इंद्र के साथ बॉक्स ऑफिस के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए, जो उस समय तक की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली तेलुगु फिल्म थी. 2008 में, अपने करियर में गिरावट के बाद उन्होंने राजनीति पर ध्यान केंद्रित करने के लिए फिल्मों से दूरी बना ली लेकिन अभी भी वे फिल्मों में एक्टिव हैं.
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2017 में चिरंजीवी ने कैदी नंबर 150 के साथ स्टाइल में अभिनय में वापसी की, जो एक ब्लॉकबस्टर बन गई. इसके बाद उन्होंने सई रा नरसिम्हा रेड्डी में एक और हिट फ़िल्म दी. हालांकि, महामारी के बाद से, चिरंजीवी की किस्मत काम नहीं कर रही. बेटे राम चरण के साथ उनकी पहली फिल्म – आचार्य – बॉक्स ऑफिस पर असफल रही और फिर गॉडफादर भी कुछ खास कमाल नहीं दिखा सकी.
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इसके बाद 2023 में, उन्होंने साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली तेलुगु फिल्म वाल्टेयर वीरैया में अभिनय किया जिससे उन्होंने सफलता का स्वाद चखा. लेकिन फिर उनकी हालिया रिलीज भोोला शंकर बॉक्स ऑफिस पर एक आपदा साबित हुई. हालांकि, 68 साल की उम्र में भी चिरंजीवी तेलुगु सिनेमा में सबसे अधिक मांग वाले अभिनेताओं में से एक बने हुए हैं.
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