25 मिनट पहलेलेखक: उमेश कुमार उपाध्याय
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‘गुलाम’, ‘लगान’, ‘गंगाजल’ और ‘स्वदेस’ जैसी फिल्में कर चुके एक्टर दया शंकर पांडे टीवी शो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ में भी नजर आते हैं। इसके अलावा वे इन दिनों शेमारू टीवी पर प्रसारित हो रहे ‘तुलसीधाम के लड्डू गोपाल’ में कथावाचक पंडित राधेश्याम की भूमिका भी निभा रहे हैं। दैनिक भास्कर से खास बातचीत में दया शंकर पांडे ने इस शो और अपने करियर पर बात की…
टीवी शो तुलसीधाम के लड्डू गोपल में दया शंकर कुछ इस लुक में नजर आ रहे हैं।
‘तुलसीधाम के लड्डू गोपाल’ में किस तरह का किरदार निभा रहे हैं?
इस शो में मैं एक कथावाचक की भूमिका निभा रहा हूं। तुलसीधाम मेरे पूर्वजों विरासत हैं और इसे हमारे पूर्वजों ने संभालकर रखा है। वे इस धार्मिक स्थल पर लड्डू गोपाल का मंदिर बनाना चाहते हैं पर कुछ भू-माफिया इस पर कब्जा करना चाहते हैं।
यहीं से कहानी की शुरुआत होती है। मैं इस लड़ाई में हिम्मत हार जाता हूं, लेकिन शो की लीड एक्ट्रेस अक्षिता मुद्गल जो मेरी बेटी तुलसी के रोल में है, वह कमान संभालती है। वो इस लड़ाई को लड़ती हैं और मैं भगवान का नाम लेता रहता हूं।
क्या यह शो लिमिटेड एपिसोड का है?
देखिए, सच तो यह है कि कौन सा शो कब तक चलेगा यह कोई नहीं जानता। हां इतना जरूर है कि अगर शो अच्छा चलेगा, तो उसे चैनल बंद नहीं करेगा। यही इस संसार का नियम है, जिसे हम सब जानते हैं। अगर शो नहीं चलेगा, तब हम कितना भी अच्छा काम करें, इसे बंद कर ही दिया जाएगा।
दया इससे पहले फिल्म लगान में आमिर खान के साथ कम कर चुके हैं। इसमें उन्होंने फिरकी गेंदबाज गोली का रोल प्ले किया था।
कई शोज में लीड रोल करते आए हैं। इस शो में यह रोल क्यों किया और यह कैसे मिला?
इसके दो कारण हैं- एक मित्रता और दूसरा कहानी व अच्छा रोल। इस शो के राइटर और प्रोड्यूसर सैनी साहब हैं, उन्होंने ‘शनिदेव’ सीरियल लिखा था। वे मित्र की तरह हैं, सो एक मित्र भाव में कहा कि आपको यह रोल करना है। वे पहली बार प्रोड्यूसर बन रहे हैं। मित्रता के साथ-साथ इंटरेस्टिंग रोल, साफ-सुथरा और धार्मिक-सोशल कंबाइड शो था, इसलिए मुझे भी अच्छा लग रहा था।
आप ज्यादातर धार्मिक शोज के हिस्सा रहे हैं। ऐसे शोज करने की कोई रणनीति रही है या महज संयोग है?
आपने सही आब्जर्व किया है। मेरा मानना है कि आपके जैसे विचार होते हैं, प्रभु उसी तरह का आपकी थाली में भोजन परोसता है। मेरा उद्देश्य होता है कि कला का माध्यम चुना है, तब लोगों तक अच्छे विचार भी पहुंचें। अगर परिवार के 10 सदस्य में से दो सदस्य भी मेरे शोज से प्रभावित होकर अपना जीवन बदलते हैं, तब बड़ी खुशी होती है।
आज भी मिलने पर कई लोग कहते हैं कि ‘महिमा शनिदेव की’ देखकर मेरे जीवन में काफी बदलाव आया है। यह सुनकर खुशी होती है। लगता है कि मेहनत सफल हुई। ‘शनिदेव’ सचेत करने वाला, पाप-कर्मों पर न चलने वाला शो था।
दया ने टीवी शो ‘महिमा शनि देव की’ में शनि देव का रोल प्ले किया था।
मुझे लगता है कि हर कोई अगर अपने धर्म के रास्ते पर चले तो कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। आपको बड़ी हिम्मत रखनी पड़ती है। ऐसे शो आते हैं, तब मन में विचार करके, कंप्रोमाइज करके कोशिश करता हूं कि कर लूं ताकि परिवार भी गर्व से सके कि मेरे पापा या पति इस तरह का काम करते हैं। इससे मेरी पत्नी और बच्चे भी खुश हो जाते हैं।
किसी सीरीज और फिल्म में भी नजर आएंगे?
पंकज त्रिपाठी स्टारर ‘मैं अटल हूं’ कर रहा हूं। इसमें दीनदयाल उपाध्याय के रोल में हूं। दीनदयाल उपाध्याय को अटल जी गुरू और पिता समान मानते थे। पिछले महीने ही इस फिल्म का शेड्यूल खत्म हुआ है। दिसंबर तक यह फिल्म रिलीज होने वाली है।
यह किरदार निभाना मेरे लिए भी चैलेंजिंग था। मैंने कभी नहीं सोचा था कि दीनदयाल उपाध्याय का रोल निभाऊंगा। उन्होंने एक लुक टेस्ट किया और सिलेक्ट कर लिया। इसकी शूटिंग कानपुर, लखनऊ और मुंबई में की है।
इसके अलावा एक-दो फिल्म और कर रहा हूं जिसे मेरे मित्र के बेटे बना रहे हैं। वक्त आने पर उसके बारे में भी बात करूंगा। टीवी पर फिलहाल ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ और ‘तुलसीधाम के लड्डू गोपाल’ कर रहा हूं।
टीवी शो ‘तारक मेहता..’ में दया शंकर इंस्पेक्टर चालू पांडे के रोल में नजर आते हैं।
अभी भी कोई ऐसा रोल जिसे निभाने की ख्वाहिश बाकी हो?
वैसे तो कई रोल सुनने और देखने के बाद करने की इच्छा होती है। लेकिन ‘आनंद’ फिल्म में राजेश खन्ना जी और ‘शोले’ के गब्बर सिंह जैसा रोल करने की वर्षों से बड़ी इच्छा है। इसकी कॉपी और मिमिक्री नहीं करना है, पर उस तरह का रोल करना है, क्योंकि इस तरह के रोल का एक दायरा है।
बड़े भाग्यशाली होते हैं वो लोग जो जिस तरह का रोल सोचते हैं और उन्हें उस तरह का मिल जाए। मेरा मानना है कि हर रोल का अपना भाग्य होता है। इसे ऊपर वाला ही तय करता है। यह तो मन की कल्पना है कि यह रोल या वह रोल कर लूं।
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