20 घंटे पहलेलेखक: ईफत कुरैशी
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ये जो सीन आपने देखा, ये 1928 में रिलीज हुई हॉलीवुड फिल्म नोहास आर्क (Noah’s Ark) का है। इस सीन को फिल्म इतिहास का सबसे भयंकर और बेवकूफी भरा सीन कहें तो भी सही होगा। सीन में जो बाढ़ है वो नकली है, लेकिन इसे असली जैसा दिखाने के चक्कर में डायरेक्टर ने 7500 लोगों की जान जोखिम में डाल दी। सैकड़ों लोग गंभीर घायल हो गए, तीन की मौत हो गई।
बाढ़ और लोगों के चेहरे पर उनके डर को असली दिखाने के लिए डायरेक्टर ने बिना इन लोगों को बताए उन पर 23 लाख लीटर पानी छोड़ दिया। नतीजा, अचानक आए पानी से बचने के लिए लोग बचने, भागने लगे और एक बड़ा हादसा हो गया। फिल्म का सीन असली बन पड़ा लेकिन कई जिंदगियां खराब हो गईं।
डायरेक्टर और प्रोड्यूसर्स को ये भरोसा था कि ये दुनिया के इतिहास की सबसे बेहतरीन फिल्म मानी जाएगी। मगर, हुआ इसका उलट, इस फिल्म को हॉलीवुड के आज तक के इतिहास की सबसे वाहियात फिल्म माना गया है। हालांकि, कमाई इसने अपने बजट से दोगुनी की थी।
आज की अनसुनी दास्तानें में पढ़िए उस फिल्म के बनने की कहानी जिसके डायरेक्टर ने परफेक्शन की सनक में 3 जानें लीं और कई जिंदगियां खराब कीं-
1927 में हॉलीवुड की पहली साउंड फिल्म द जाज सिंगर आने के बाद हॉलीवुड के मशहूर स्टूडियो वॉर्नर ब्रोज भी साउंड फिल्मों में एक्सपेरिमेंट करना चाहते थे। उस समय स्टूडियो ने हॉलीवुड राइटर डेनिल एफ. जॉनक के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था, जो उस समय बाइबिल के मशहूर किरदार नोहा और वर्ल्ड वॉर के दौरान की एक एपिक रोमांटिक स्टोरी लिख रहे थे। उन्होंने दोनों स्टोरी मिला दीं, जिसे टाइटल दिया गया नोहास आर्क।
इस फिल्म को डायरेक्ट करने के लिए माइकल कर्जिट को हायर किया गया, जो डेनमार्क, हंगरी और ऑस्ट्रेलिया में 68 फिल्में बनाकर मशहूर हो चुके थे।
क्या है फिल्म की कहानी?
नोहास आर्क की कहानी ट्रैविस और उसकी मैरी की लव स्टोरी है, जो प्रथम विश्व युद्ध के दौरान एक दूसरे से बिछड़ जाते हैं। उनकी कहानी की तुलना बाइबिल की कहानी से की जाती है।
3 साल में बनी फिल्म, 10 हजार लोगों ने किया था काम
मेकर्स फिल्म को बड़ा बनाने के लिए कोई कसर छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे। वो चाहते थे कि ये अब तक की फिल्म हिस्ट्री की सबसे बेहतरीन फिल्म बने। इसके लिए हर सीन को रियल दिखाने के लिए उन्होंने स्टूडियो में विशाल सेट बनवाए और 10 हजार लोगों को कास्ट किया।
बाढ़ का जानलेवा सीन और हादसे
फिल्म के क्लाइमैक्स में बाढ़ का सीन दिखाया जाना था। स्क्रिप्ट के अनुसार फिल्म के लीड एक्टर्स के अलावा सभी एक्स्ट्राज को बाढ़ में फंसा दिखाया जाना था। इस सीन के लिए 7500 एक्स्ट्रा को सेट पर बुलाया गया।
डायरेक्टर माइकल कर्टिस और प्रोड्यूसर डैरिल जानक चाहते थे कि सभी एक्स्ट्राज के बाढ़ के बीच फंसने के असली रिएक्शन रिकॉर्ड किए जाएं। इस मंशा से उन्होंने अपनी टीम से कहा कि किसी को भी इस सीन के बारे में नहीं बताया गया।
मेकर्स ने सिनेमैटोग्राफर हाल मोह्र को बुलाया और उन्हें सीन की जानकारी दी। उन्हें इंस्ट्रक्शन्स दिए गए कि भीड़ के ऊपर 23 लाख लीटर पानी गिराया जाएगा और वो जैसे ही भागें तो उनके रिएक्शन एक बार में ही रिकॉर्ड करने कर लिए जाएं।
सिनेमैटोग्राफ, डायरेक्टर का ये आइडिया सुनकर दंग रह गए, क्योंकि वो जानते थे कि ऐसा करना खतरनाक हो सकता है। उन्होंने कहा- इतने पानी और बहाव के बीच उन एक्स्ट्राज का क्या होगा। जवाब मिला- वो लोग अपनी जान बचा लेंगे।
सिनेमैटोग्राफर ने ये खतरनाक सीन शूट करने से साफ इनकार कर दिया और सेट छोड़कर निकल गए।
7500 लोगों पर डाला गया 23 लाख लीटर पानी
डायरेक्टर का सही शॉट लेने का पागलपन इस कदर था कि उसने ये भी जानने की कोशिश नहीं की कि सबको तैरना आता है या नहीं। एक्शन बोलते ही 7500 लोगों पर 23 लाख लीटर पानी डाला गया, जिससे बाढ़ क्रिएट की जा सके। पानी को इतनी तेजी से फेंका गया कि कई लोग कॉन्क्रीट से बने सेट पर जा टकराए, कई के डूबने की नौबत आ गई। सेट पर कई बड़े-बड़े पत्थर थे, जिसमें टकराने से कई लोगों की हड्डियां टूट गईं। चीख-पुकार मच गई और लोग असल में अपनी-अपनी जान बचाकर भागने लगे।
पानी में डूबकर हुई 3 लोगों की मौत
जैसे ही सीन पूरा हुआ तो कई लोग बाढ़ की चपेट में आकर जख्मी पड़े हुए थे, कई की हड्डियां टूटी थीं। 3 लोगों की मौत हो चुकी थी। वो तैरना नहीं जानते थे। वहीं एक शख्स ऐसा भी था जिसको इतनी गहरी चोट लगी थी कि उसका पैर काटना पड़ा था। जख्मी हुए लोगों का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सेट पर घायल लोगों को लेने के लिए 35 एंबुलेंस बुलानी पड़ी थीं।
सेट में बनाया गया जहाज सैकड़ों फिल्मों में इस्तेमाल हुआ
फिल्म के ओपनिंग शॉट के लिए इवरसन मूवी रैंच पर एक विशाल जहाज तैयार किया गया था। इस जहाज को शूटिंग खत्म होने के बाद तोड़ा नहीं गया था, जिसे बाद में 1939 की स्टेजकोच समेत सैकड़ों हॉलीवुड फिल्मों में इस्तेमाल किया गया था।
फिल्म की शूटिंग 1925 में शुरू की गई थी, जब साइलेंट फिल्में ही बना करती थीं। फिल्म का लगभग 80% हिस्सा शूट हो चुका था, जब 1927 में हॉलीवुड की पहली साउंड फिल्म द जाज सिंगर रिलीज हो गई। फिल्म की कामयाबी देखते हुए वॉर्नर ब्रदर्स ने भी इसे साउंड फिल्म में बदलने की कोशिश की। फिल्म के कुछ हिस्सों को साउंड के साथ रिकॉर्ड किया गया था, जिससे ये पार्ट-टॉकी फिल्म (वो फिल्में जो साइलेंट थीं, लेकिन साउंड फिल्में आने से उनमें साउंड जोड़ा गया) बनी।
मेकर्स ने अपनाया फिल्म प्रमोशन का खास तरीका
फिल्म रिलीज से पहले जारी किए गए पोस्टर में लिखा गया था कि ये फिल्म मोशन पिक्चर स्क्रीन पर पहुंचने वाली सबसे बड़ी ड्रामा फिल्म होने वाली है। जिसमें 10 हजार से ज्यादा लोगों ने काम किया और जिसे कई मिलियन में बनाया गया है।
1 नवंबर 1928 को इस फिल्म को रिलीज किया गया। ये ओरिजिनल फिल्म 135 मिनट की थी। जब फिल्म रिलीज हुई तो वॉर्नर ब्रदर इससे असंतुष्ट थे। उन्हें लगा कि साउंड जोड़ने से फिल्म अटपटी बन गई है। उन्होंने फिल्म की रिलीज रोक दी। उन्होंने फिल्म से आधे घंटे के सीन हटवा दिए।
6 महीने बाद 15 जून 1929 को 108 मिनट की फिल्म को री-रिलीज किया गया। री-रिलीज में फिल्म सफल रही और उसने अपनी लागत से दोगुनी, 1 मिलियन डॉलर की कमाई की। कमाई के मामले में ये वॉर्नर ब्रदर्स की तब तक की सबसे कामयाब फिल्म थी।
बजट से दोगुनी कमाई करने के बावजूद फिल्म को क्रिटिक्स और दर्शकों ने पसंद नहीं किया। अमेरिकन वीकली मैगजीन द न्यूयॉर्कर्स ने नोहास आर्क को दुनिया की सबसे घटिया फिल्म कहा। वहीं न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा कि ये किसी व्यक्ति के धैर्य की परीक्षा है।
फिल्म रिलीज के बाद हॉलीवुड में स्टंट सेफ्टी नियम लागू हुए
फिल्म के सेट पर मेकर्स की लापरवाही और पागलपन से 3 लोगों की जान गई, जिससे फिल्म विवादों में रही। इसके बाद हॉलीवुड फिल्मों में स्टंट सेफ्टी नियमों को लागू किया गया। अगर किसी भी सेट पर स्टंट परफॉर्मेंस के दौरान लापरवाही होती थी तो मेकर्स के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाती है। इसके बावजूद कई बार फिल्मों के सेट पर लापरवाही के चलते कई लोगों की जान जा चुकी है।
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